१.
उस घर जाना व्यर्थ है, जहां नहीं हो मान।
अपने निश्चित लक्ष्य का, कर्म सहित हो ज्ञान।। (नर लगा माप)*
२.
जोड़ तोड़ गठजोड़ का, जहां हो रहा खेल।
व्यर्थ वहां है ढूंढना, सच्चे मन का मेल।। (मर्कट लगा माप)*
उस घर जाना व्यर्थ है, जहां नहीं हो मान।
अपने निश्चित लक्ष्य का, कर्म सहित हो ज्ञान।। (नर लगा माप)*
२.
जोड़ तोड़ गठजोड़ का, जहां हो रहा खेल।
व्यर्थ वहां है ढूंढना, सच्चे मन का मेल।। (मर्कट लगा माप)*
३.
सरल समर्पित समर्थन, संबल सहित सनेह।
जिससे मिलता है हमें, उस पर क्या संदेह।। (चलबल लगा माप)*
सरल समर्पित समर्थन, संबल सहित सनेह।
जिससे मिलता है हमें, उस पर क्या संदेह।। (चलबल लगा माप)*
४.
अनुचित आग्रह, अपेक्षा, अभिलाषा, अधिकार।
अन्याश्रित के भाग में, आता है धिक्कार।। (करभ लगा माप)*
अनुचित आग्रह, अपेक्षा, अभिलाषा, अधिकार।
अन्याश्रित के भाग में, आता है धिक्कार।। (करभ लगा माप)*
५.
नग्न खड़ी है द्वार पर, दुर्बल पीली धूप।
फटक रही करुणा दया, हिला हिला कर-सूप।। (हंस लगा माप)*
@कुमार, २९.१२.२३,शुक्रवार, ४.१५-५.१५,
*(कोष्टक में नामकरण आई आई टी यू (University of International Internet Technology, अंतर्राष्ट्रीय अंतर्जाल तकनीकी विश्वविद्यालय) द्वारा प्रदत्त मानकों के अनुसार हैं।)
नग्न खड़ी है द्वार पर, दुर्बल पीली धूप।
फटक रही करुणा दया, हिला हिला कर-सूप।। (हंस लगा माप)*
@कुमार, २९.१२.२३,शुक्रवार, ४.१५-५.१५,
*(कोष्टक में नामकरण आई आई टी यू (University of International Internet Technology, अंतर्राष्ट्रीय अंतर्जाल तकनीकी विश्वविद्यालय) द्वारा प्रदत्त मानकों के अनुसार हैं।)
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