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Showing posts from April, 2019

डील

उप-कुलपति महोदय ने बुलाया था। कहा- "आप आ जाएं, डील फाइनल कर लेते हैं। दिल तो मिल ही गए हैं, कुछ मुद्रा विषयक बीजगणित हल कर लेते हैं। असल में मैं आपको कुलपति जी से मिलवाना चाहता हूं।" शहर से शिक्षानगर लगभग दसेक किलोमीटर पर है। बहुचर्चित कायदाये इस्लाम मुस्लिम मदरसा दायीं ओर है। बायीं ओर सारे स्कूल कॉलेज, बिज़नेस ले आउट और बिज़नेस प्लॉट्स हैं। चंद्रा का माउंट लिट्रेसी और विश्वपटल तकनीकी महाविद्यालय समूह एक बड़े क्षेत्र में खड़ी भव्य भवन श्रृंखलाओं में स्थित है। इसी के प्रबंधन में एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का सपना अंकुरित हो रहा है। स्वयं एक स्वप्नदृष्टा अभियंता दिव्यंकर इस सपने को अपने भीतर पालने की सफलतम चेष्टा कर रहे हैं। सफलतम सपनों को साकार करने की उनकी पिछले दस वर्षों की कोशिशों ने कई गुल खिलाया हैं। एक तकनीकी और सम्पूर्ण विश्वविद्यालय को साकार करने की उनकी इस कोशिश में एक और उद्भट स्वप्न दृष्टा अर्थशास्त्री डॉ. रणधीर सेन भी उनसे जुड़ गए हैं। यह कंचन-माणिक्य संयोग कैसे बना नहीं मालूम मगर सुना है, तभी से धरती हेम-प्रसवा हो गयी है और सोने से सुगंध आने लगी है। गर्मी

टोपी : एक राजनैतिक मुहावरा

टोपी: राजनीति का मुहावरा या मुहावरे की राजनीति?  बनारस में भगवा टोपी पहननेवालों से पत्रकार ने ये पूछकर कि क्या ‘आपके’ सबसे प्रबल शत्रु की टोपी की नकल करते हुए अपनी टोपी पहनी है?’ टोपी को पुनः चर्चित कर दिया है।।  भगवा कार्यकत्र्ताओं ने जो उत्तर दिया वह बड़ा अटपटा था। उन्होंने अपने वर्तमान शत्रु या प्रतिद्वंद्वी का श्रेय खारिज करते हुए अपने दूसरे ‘ऐतिहासिक शत्रुया प्रतिद्वंद्वी की देन उसे बताया। ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में ख्यात गांधी के नाम से ‘एक टोपी’ सत्तर अस्सी के दशक में लोकप्रिय थी, जो  उनके पुरानी विचारधारा वाले प्रायः वयोवृद्ध अनुयायियों ने याद रखा किन्तु नयी लहर के अनुयायियों ने उपेक्षित कर दिया।  आप और बाप के बीच का यह द्वंद्व एक को अस्वीकार करने और दूसरे की लोकप्रियता का लाभ लेने का उपक्रम लगता है। मगर यह भी लगता है कि कार्यकर्ताओं को टोपी के इतिहास का पता नहीं है। उनके प्रायोजित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को भी इतिहास का कहां पता है? बिहार में विश्वविद्यापीठ आदि अनेक विषयों में इतिहासविषयक भूलें की हैं, अज्ञानता जाहिर की है।  उनके समर्थित दलों और संगठनों में टोपियां ‘दि

गीत : बिसहुआ

मुठ भर मुर्रा चना चबैना, हरी मिर्च दंतियाता, हीरा लेने चला बिसहुआ, तन जर्जर, मन मंगना! बिना पंख के उड़े देखकर शांति निकेतन आये! पुनर्नवा का अर्क निकाले, कुटज कूटकर खाये! दो कौड़ी में बने हजारी, सुत अनमोल कहाये! जो बोले वह सच हो जाये, ज्योतिष-मत हो जाये! वह कबीर की बानी साधे, कल्पलता सा फैले, हर-सिंगार के फूल बिखेरे, इस अंगना, उस अंगना!! जग को गीतांजली पिलाकर, सुध बुध सब बिसराये! कृषि की कला काव्य-कुंज की कलियों सी महकाये! क्षिति में भरी अकूत संपदा, मृत्य-अमृत्य, अजानी! बंजर को करती उर्वर, मरुथल को पानी पानी! जहां भिखारिन भी सोने-से, सुत तक लौटा देती, चलो वहां जाकर देखेंगे, लाल झारता झंगना!! मन की धूल धूसरित गलियां, सौंधेपन से भर दे! कुछ मनभाती बूंदाबांदी सूखा तन तर कर दे! मुड़े-तुड़े कुछ बिसरे सपने आंखों में फैलाकर- बुने घौंसला फिर से चिड़िया, तिनका-तिनका लाकर! गीतों की फिर लगे चौकड़ी, कृति-कस्तूरी महके, फिर कविता-कामिनी चिहुंककर, हंस खनकाये कंगना! *** डॉ. रामकुमार रामरिया, मंगलवार, दि. 23.04.2019, (5 बजे शाम, रात्रि 10. 20 से 11, प्रातः 7.30)

प्रधान मंत्री पद

#प्रधानमंत्री_पद इन दिनों प्रतिष्ठित नाम, पदनाम और विशेषण कलंकित किये जा रहे हैं...योगी, साधु, साध्वी, चौकीदार, ... अगर इस सब से प्रेरित होकर कोई अपराधी थाने के सामने या जेल के भीतर खुद को थानेदार बताए तो दोषी कौन? राजनीतिक लोगों को सांवैधनिक पद के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्देशों की अवहेलना को गंभीरता से लेना चाहिए। महामहिम राष्ट्रपति सर्वोच्च सांवैधानिक पद है... किसी दल के राजनैतिक दवाब के चलते उसे अन्य किसी पद के साथ स्थानापन्न करना संविधान और राष्ट्रपति पद का अपमान है। इसी प्रकार  प्रधानमंत्री भी गरिमामय सांवैधनिक पद है। किसी भी प्रधानमंत्री को यह अधिकार नही है कि उस पद को किसी अन्य पद से स्थानापन्न करे। ऐसा करना विधान द्रोह है। अगर पदनाम परिवर्तित ही करना है तो संसद में वैसा बिल ले आएं कि कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री बनते ही राष्ट्रीय पदों के साथ खिलवाड़ करने का अधिकारी हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रहित में यह अवश्य देखना चाहिए। चुनाव आयोग को निर्देश दिए जाने चाहिए कि पदों को लांछित करनेवाला व्यक्ति विधिश: दंडनीय हो। कलेक्टर, शिक्षक, भृत्

महावीर जयंती

आज महावीर जयंति है,  महावीर जयंति पर विशेष * इक्ष्वाकु-रणधीर प्रणाम!! महावीर, अतिवीर प्रणाम!! वैभव, भोग, विलास त्यागकर वह जितेन्द्र कहलाया! विश्व-जनक सिद्धार्थ, जननि त्रिशला का ताप मिटाया! जाति-पांति से दूर किया, केवल कैवल्य कराया! वैशाली का पुत्र मोक्ष हित, नालंदा पधराया!  कुण्डलपुर-प्राचीर प्रणाम!!  महावीर, अतिवीर प्रणाम!! जीवन में अस्तेय, अहिन्सा, संयम, सत्य, अपरिग्रह! पंचशील के पुण्यमार्ग का है अनुदान, अनुग्रह! सीमित दृष्टि लिए चलते जो, सत्य ‘एक’ बतलाते! अपने दर्शन में तीर्थन्कर, अनेकांत दिखलाते!  स्याद्वाद-तूणीर प्रणाम!!  महावीर, अतिवीर प्रणाम!! ‘सर्वजीव की रक्षा जीवन, सबका सुख हो सपना! वचन, कर्म, मन से भी होती है हिंसा, सब बचना!’ संग्रह जो करते हैं उनको, मुक्तकाम सिखलाया! कुटिल, कलुष, कापुरुषजनों को, मोक्षधाम दिखलाया!  सत्य-जैन जिनवीर प्रणाम!!  महावीर, अतिवीर प्रणाम!! ‘जिओ और जीने दो’ की सब, ‘जिनवाणी’ को समझें! सबमें उसके पुदगल देखें, अपना सबको समझें! तन पदार्थ है, मन कृतार्थ के ‘उत्तम-कर्म’ निभाएं! ‘उत्तम-क्षमा’ जहाज चढें सब, ‘दश-अर्णव’ तर जाएं!