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Showing posts from November, 2011

फिसलनेवाले फर्स में एक शाम

पोली मेगामार्ट की वह शाम अभी भी आंखों में बसी हुई है। हम उस शाम मार्बल सिटी में थे और मेगामार्ट के बारे में उत्साह से जानकारी देनेवाली हमारी बच्ची ही थी जो मां को मल्टीपल किचन-वेयर उपलब्ध कराना चाहती थी। ऊमस भरी दोपहरी थकी हुई नींद से जागकर अभी अभी शाम में ढली थी। शाम का सदुपयोग हमारे तीन लक्ष्यों पर आधारित था : पहला पोली मेगामार्ट की सैर और खरीददारी, दूसरा मॉल की तफ़रीह , तीसरा चैपाटी ,सोनाली या रूपाली में किसी एक के ‘सौजन्य’ पर भोजन। पहला नाम चौपाटी, जग जाहिर है कि चैपाटी नाम के स्थान , बम्बई उर्फ मुम्बई की तर्ज पर बड़े बड़े शहरों में लगनेवाले चटोरी चाट के शौकीन इलाके हैं। बाकी के दो नाम ; सोनाली और रूपाली हाई-स्टेडर्ड के भोजनालय हैं। हम पहले लक्ष्य की ओर बढ़े। लक्ष्य के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़ा। पास ही था। बच्चियों का फ्लेट पॉज़ इलाके में था जो केन्द्रीय बाजार के मध्य में ही था। मेगा मार्ट में आज काफी चहल पहल थी। आज कुछ चीज़ों पर 40 प्रतिशत का डिस्काउंट ऑफर था और चांवल के पांच किलो के एक पैक के साथ एक पैक फ्री था। किसी भी मध्यम वर्गीय परिवार को यह लुभानेवाला खेल था। हम भी इससे आ

हरी मिर्ची

सुबह सुबह जूते की अंतिम गांठ बांधकर मैं पूरी तरह तैयार होकर घूमने के लिए सीधा खड़ा हो गया। सुबह की हवा स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। उपयोगितावाद का यह मंत्र मैंने ऐन बचपन में ही शहद के साथ चाटा है। जब तब इसकी मिठास मेरे मस्तिष्क पर लिपट जाती है। मैं जब माथे पर हाथ फेरते हुए होंठों पर जबान फिराता हूं ,तो इसका मतलब यही होता है कि अतीत अपनी सुन्दरता के साथ मुझे याद आ रहा है। ‘‘लौटते हुए हरी धनिया और हरी मिर्च तो नहीं लानी है?’’ निकलने के पहले मैंने अंदर की तरफ़ मुंह करके आवाज़ लगाई। अब तक पत्नी जान चुकी है कि नर्मदा नगर और मोती तालाब के बीच का जो अध -उधड़ा रास्ता है, उसमें करीब आधा दर्जन सब्ज़ियों की घरेलू दूकानें हैं जो सुबह सुबह ही खुल जाया करती है। मकानों के अहातों की सफाई और छिड़काव के बाद ,सब्ज़ियों के तख़्तों का सजना ऐसा ही है जैसे आंगन में किसी ने हरी, लाल, भूरी, बैंगनी, गुलाबी, प्याजी-आलुई रंगोलियां डाल दी हों। ‘आंखों के लिए हरापन और हरियाली देखना अच्छा होता है।‘ हरी मिर्च और हरी धनिया की चटनी की तरह यह बात मां ने बचपन में कई बार मेरे अलसाए हुए सबेरों को चटाई है। मैं अक्सर धुले हुए