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Showing posts from August, 2009

प्रेम की पत्रकारिता

मेरे एक मित्र के ब्लाग में एक पत्रकार मित्र ने बड़े दुख और क्षोभ के साथ लिखा है कि देखो प्रोफेसर मटुकनाथ भी पत्रकारिता के अखाड़े में उतर रहे हैं। हिन्दी के प्राफेसरों से उन्हंे खास शिकायत है। ये प्रोफेसर वो साम्राज्यवादी सामन्त लोग हैं जो हर मामले में टांग अड़ाते हैं, कही भी उतर जाते है। देखा कि कोई बाजार है तो ये अपनी दूकान खोलकर बैठ जाते हैं। इनसे स्वरोजगार से जुड़े हुए लोग बेरोजगार होते हैं। प्रोफेसर डॉ. मनमोहन प्रधानमंत्री बन गए। प्रो. दंडवते, प्रो. जोशी वगैरह कितने ही लोग हैं जो राजनीति के रास्ते से संसदमें घुस गए। मैं झल्लाए हुए मित्र के पक्ष में हूं। एक उच्च शिक्षा मंत्री हुई महिला प्रोफेसर की हालत को देखकर मैं चिंतित हूं। मैंे अपने विद्यार्थीकाल से ही प्रोफेसरों की आलोचना और उनकी मूर्खताओं के किस्से सुनते आया हूं। एक बीए पास राजनैतिक कार्यकर्ता और एजेन्ट और लेखक को मैंने ज्ञान का ठेका करते देखा है। वे प्रोफेसरों के शंत रवैये से नाखुश थे। जो किताबें वे चाहते थे उन्हें न पढ़नेवाले प्रोफेसर को वे वज्र मूर्ख कहकर नकार देते थे। सैकड़ों लोगों की तरह वे भी यह मानते थे कि जो कहीं कुछ नहीं क

अथ सुअर-वार्ता

अथ सुअर-वार्ता उर्फ ‘स्वाइन-फ्लू’ तमस का आरंभ भीष्म साहनी ने सुअर के दड़बे में सुअर-युद्ध से किया है। सुअर अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है और उपन्यास का पात्र कुछ राजनैतिक व्यक्तियों की दुरभिसंधि के लिए सुअर को लाश बनाने के लिए अपनी जान का दांव खेल रहा है। अस्तित्व का संकट दोनों के सामने है। आदमी के हाथ में हथियार है और सुअर के पास केवल नैसर्गिक जिजीविषा है। सुबह अभी हुई नहीं है। अंधकार दोनों के लिए एकसा है। दोनों आहटों की लड़ाई लड़ रहे हैं। एक आहट पर वार कर रहा है ,दूसरा आहट के साथ होनेवाले वार से खुद को बचाता हुआ सापेक्षिक प्रहार कर रहा है। बचाव की रणनीति सुअर की है। अंत में दुष्ट-प्रयास जीत जाता है और निरीह सुअर मारा जाता है। भारत में धर्मान्धता को भड़काकर हिन्दू- मुस्लिम दंगे कराने के लिए मरे हुए सुअर को हथकण्डे के रूप में रातनीतिक लोग प्रयुक्त करते हैं। यही बात भीष्म साहनी ने इस उपन्यास में बुनी है। सुअर को आधार बनाकर सांप्रदायिक दंगे की व्यूह रचना मानवीय विकास हो सकता है लेकिन मनोवैज्ञानिक उसे उन्माद कहते हैं। धार्मिक-उन्माद। वह भी एक प्रकार का फ्लू है -रिलीजन फ्लू।