आजकल के सात दोहे
गोदी में बैठे रहें, दुर्बल शब्द निशब्द।
किस मां ने कैसे जने, अनुचर,सेवक,अब्द*।२।
एक पाप को ढांकने, जो करता सौ पाप।
उसके इस अपराध को, क्षमा करेंगे आप?३।
श्रेष्ठ, दुष्ट, विक्षिप्त, खल, नृप रचते इतिहास।
जन के दुख-सुख से नहीं, रखते मतलब ख़ास।४।
नाम बदलना हो रही, नई कहावत आज।
तन की खुजली हो गई, बढ़कर मन की खाज।५।
वह निंदा को समझता, ख्याति, शक्ति, सम्मान।
गाली स्तुतिगान सम, 'पद्मसिरी' अपमान^।६।
तुग़लक़ का वह वंशधर, हिटलर का है पौत्र।
गीदड़ उसकी जात है, चमगादड़ है गौत्र।७।
@कुमार, 21-22.05.23
अर्थ =
*अब्द : गुलाम
^अपमान को जो 'पद्मश्री' समझता है
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