पांच मुकरियां
1.
बेमतलब के रंग बदलता।
अच्छा होता ढंग बदलता।
उसने सबकी किस्मत फोड़ी।
क्यों सखि साजन।
नहीं गपोड़ी।
०
2.
इसको उसको बंद कराये।
सौ सौ वह पाखंड कराये।
उसके हाथों में हथियार।
ए सखि साजन?
नहिं सरकार।
०
3.
बेशर्मी की हद्द कर रहा।
अपनी ही वह भद्द कर रहा।
उथली हरकत, ओछे करतब।
ए सखि साजन?
न सखि साहब।
०
4.
कथरी ओढ़े घी है खाता।
पाक साफ़ खुद को बतलाता।
बंदरबांट करे मुंह-जबरा।
ए सखि साजन?
ना सखि लबरा।
०
५.
धंधा, पानी, नोट देखता।
पर ख़ुद के ना खोट देखता।
छलिया, ठगिया, फंदेबाज़।
ए सखि साजन?
नहीं लफ़्फ़ाज़।
@ कुमार, २०.०५.२३, शनिवार
अच्छा होता ढंग बदलता।
उसने सबकी किस्मत फोड़ी।
क्यों सखि साजन।
नहीं गपोड़ी।
०
2.
इसको उसको बंद कराये।
सौ सौ वह पाखंड कराये।
उसके हाथों में हथियार।
ए सखि साजन?
नहिं सरकार।
०
3.
बेशर्मी की हद्द कर रहा।
अपनी ही वह भद्द कर रहा।
उथली हरकत, ओछे करतब।
ए सखि साजन?
न सखि साहब।
०
4.
कथरी ओढ़े घी है खाता।
पाक साफ़ खुद को बतलाता।
बंदरबांट करे मुंह-जबरा।
ए सखि साजन?
ना सखि लबरा।
०
५.
धंधा, पानी, नोट देखता।
पर ख़ुद के ना खोट देखता।
छलिया, ठगिया, फंदेबाज़।
ए सखि साजन?
नहीं लफ़्फ़ाज़।
@ कुमार, २०.०५.२३, शनिवार
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