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पांच मुकरियां


पांच मुकरियां

१.
लाग लपेट करे, झुक जाए।
लाख तरह की बात बनाए।
     सौ-सौ बार बलाएं लेता।
     ए सखि साजन, न सखि नेता। ३.५.२३/१.५८
२.
अपने को सर्वज्ञ मानता।
यहां वहां की ख़ूब छानता।
       दुनिया भर का बने निदेशक।
       ए सखि साजन, न सखि लेखक। ३.५.२३/२.५
३.
अनजानों में कमी निकाले।
मित्रों को आकाश उछाले।
         वह जीवन का बने परीक्षक।
        ए सखि साजन, नहीं समीक्षक। ३.५.२३/२.१०
४.
उसमें फंसे तो निकल न पाते।
कितना ही हम ज़ोर लगाते।
            वह ताकतवर, हम हैं निर्बल।
            ए सखि साजन, न सखि दलदल। ३.५.२३/२.१५
५.
घोषित उससे भला सभी का।
लेकिन होता नहीं किसी का।
             उससे सबको बड़ी शिकायत।
              ए सखि साजन, नहीं सियासत। ३.५.२३/२.२०
            

@ रा०रा०कुमार, संजीविनी नगर, जबलपुर.म०प्र० 


एक और ....

घुटना : ३० अप्रैल २०२३.

दुनिया भर के बोझ उठाये।
पोंगा, बैल, गधा, कहलाये।*
     जिस्म न चाहे उससे  छुटना।
      ए सखि साजन, न सखि घुटना*। 

* घुटना : टांग के बीच का मुड़ने और धड़ का बोझ उठानेवाला अंग है घुटना। 

किंतु हमारे अंग प्रत्यंगों को मुहावरों, कहावतों, बतकही में पिरोकर किसी अन्य अर्थ में भी लिया है।  

बात को बगराने की बजाय समेटते हुए केवल 'घुटना' शब्द पर केंद्रित करते हैं। 'घुटना' का अर्थ नासमझ लोग --- बुद्धू, अहमक और मंद बुद्धि को कह दिया करते हैं। 'इसका दिमाग घुटने में' कहकर कुछ लोग अपने को 'सरदार' या 'सरवाला' (सर जहां बुद्धि होती है) समझने लगते हैं। मगर किसी को 'घुटना' कहना कहां की अक्लमंदी है। वही तो एक है जिसने हमारी दुनिया यानी 'बॉडी' सम्हाल रखी है।


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