आज महावीर जयंति है, महावीर जयंति पर विशेष * इक्ष्वाकु-रणधीर प्रणाम!! महावीर, अतिवीर प्रणाम!! वैभव, भोग, विलास त्यागकर वह जितेन्द्र कहलाया! विश्व-जनक सिद्धार्थ, जननि त्रिशला का ताप मिटाया! जाति-पांति से दूर किया, केवल कैवल्य कराया! वैशाली का पुत्र मोक्ष हित, नालंदा पधराया! कुण्डलपुर-प्राचीर प्रणाम!! महावीर, अतिवीर प्रणाम!! जीवन में अस्तेय, अहिन्सा, संयम, सत्य, अपरिग्रह! पंचशील के पुण्यमार्ग का है अनुदान, अनुग्रह! सीमित दृष्टि लिए चलते जो, सत्य ‘एक’ बतलाते! अपने दर्शन में तीर्थन्कर, अनेकांत दिखलाते! स्याद्वाद-तूणीर प्रणाम!! महावीर, अतिवीर प्रणाम!! ‘सर्वजीव की रक्षा जीवन, सबका सुख हो सपना! वचन, कर्म, मन से भी होती है हिंसा, सब बचना!’ संग्रह जो करते हैं उनको, मुक्तकाम सिखलाया! कुटिल, कलुष, कापुरुषजनों को, मोक्षधाम दिखलाया! सत्य-जैन जिनवीर प्रणाम!! महावीर, अतिवीर प्रणाम!! ‘जिओ और जीने दो’ की सब, ‘जिनवाणी’ को समझें! सबमें उसके पुदगल देखें, अपना सबको समझें! तन पदार्थ है, मन कृतार्थ के ‘उत्तम-कर्म’ निभाएं! ‘उत्तम-क्षमा’ जहाज चढें सब, ‘दश-अर्णव’ तर जाएं!