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Showing posts from March, 2019

मेरा साथी गुमनाम

सुबह-सुबह मुझको मेरा साथी गुमनाम मिला!! चलो, शहर में नामवरों के, इक हमनाम मिला!! वही चाल सीधी-सादी जो बिन बोले, बोले!! वह हल्की मुस्कान मनों में जो मिश्री घोले!! चलते-चलते, चलते पुरजों को चलता करती!! उठा-पटक या लाग-लपेटी से कन्नी कटती!! उसे देखकर उकताए मन को आराम मिला!! सुबह-सुबह मुझको मेरा साथी गुमनाम मिला!! चालबाज़ियां ठगकर निकलीं, वो हंसकर निकला!! चक्रव्यूह के चक्कर में फंसकर, पककर निकला!! मुश्किल और परेशानी के, घर आता जाता!! क्या लेता-देता है कोई, जान नहीं पाता!! कभी बहुत दिन बाद, कभी वह सुबहो शाम मिला!! सुबह-सुबह मुझको मेरा साथी गुमनाम मिला!! सबके चेहरे पढ़ते रहता वह अनपढ़ अज्ञानी!! पढ़ा-लिखा जग जान न पाया, उसकी राम-कहानी!! दुनिया के गोरख-धंधों से दूर दूर रहता है!! किसे पता, कैसे-कैसे वह, कितने दुख सहता है!! समय! परखकर उसको तुमको क्या परिणाम मिला? सुबह-सुबह मुझको मेरा साथी गुमनाम मिला!! दुनिया उसके नहीं काम की, जिसे काम से काम!! कामयाबियों के लेखे में वह बिल्कुल नाकाम!! ढूंढ रहा वह क्या जाने क्या, चतुर चुस्त लोगों में!! सत्य, अहिँसा, प्रेम, पुराने-मूल्य, न

'च' के चमत्कार उर्फ चतुर और चालाक "च"

चौंक जाइयेगा जो जानिएगा भारतीय राष्ट्रीय वर्णमाला के दो नंबर पर आनेवाले वर्ण-परिवार के पहले सदस्य च के बारे में। चमत्कृत करनेवाले यह चमत्कारी वर्ण बड़ी चतुराई से लोगों को चुस्त और चालाक बना देता है। वो जिनके बारे में कहा गया है कि वे मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए हैं, दरअसल इसी वर्ण का कमाल है। यही कारण है कि चालाक व्यक्ति अगुआ बनने की बजाय चमचा बनना पसंद करते हैं। सब जानते हैं कि चतुर चमचे की चांदी ही चांदी है। चांदी की चमक के क्या कहने! आंखें चौंधिया जाती हैं। कोई चौतरफा फैली समृद्धि को, चहुंमुखी विकास को सोना ही सोना नहीं कहते, कहते हैं उसकी तो चांदी ही चांदी है। च के चौपाल में चांदनी चौक से ज्यादा चोर बाजार के चर्चे हैं। किसी को चर्चित करने में इसकी भूमिका है। उदाहरण के लिए एक चतुर्थ श्रेणी का पद है चौकीदार। कुछ वर्षों से यह पद चौकीदार बड़ा ही चर्चित हुआ है। किसी चमत्कार करनेवाले किसी चौपाल के चौधरी ने पहली लगान की वसूली में तो अपने को 'चौधरी की चौपाल का प्रधान सेवक' कहा। फिर दूसरी वसूली में वक़्त की नजाकत देखकर चालाकी से अपने को चौकीदार कह दिया। सेवक और चौकीदार चू

दर्पण

गीतकार साहित्यिक समूह में अतीव प्रशंसित गीत : ** सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!! पर दर्पणों का, रूप-दर्प, चरण-दास है!! मन की अनंत गोपनीयता का मुख-पटल!! आंखों के भेद, भाव के प्रवाह में विफल!! दर्पण से गुप्त-वार्ता एकांत कक्ष में, सबके समक्ष खुलने को अत्यंत ही विकल!! दर्पण ही नमक-मिर्च है, दर्पण मिठास है!! सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!! व्यक्तित्व के उतार चढ़ावों की गवाही!! सामर्थ्य की, नितांत अभावों की गवाही!! अपराध-बोध की, घुटन, अवसाद, शोक की, उल्लास की, उन्मत्त प्रभावों की गवाही!! दर्पण विवेक-रथ के सारथी की रास है!! सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!! यह हाथ में कबीर के निर्मल-मना रहा!! तुलसी का मन-मुकुर निजी, लुभावना रहा!! अपना हृदय बना लिया मीरां ने आरसी, यह मीत सूरदास का मन-भावना रहा!! दर्पण व्यथा-कथा, प्रगीत, उपन्यास है! सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!! * डॉ. रा. रामकुमार, 25.03.19, सोमवार, प्रातः 10 बजे.

दोहा पंचमी

* दोहरा चरित्र .. मुंह से थानेदार है, मन से चिल्हर-चोर!! आंखों से काजल चुरा, बना फिरे सिरमौर!! -- छद्म परिवर्तन .. नाम बदल कर हो गया, लखनऊ लक्ष्मण-धाम!! दिल्ली का भी शीघ्र ही, भला करेंगे राम!! -- ठगी छलावा .. काशी को क्वेटा करो, चलो बलूचिस्तान!! काबा हो कश्मीर फिर, भारत पाकिस्तान!! --- आधुनिक किंवदंती .. अगर बनारस में मरो, सीधे जाओ स्वर्ग!! जीते जी चोरी, ठगी, राज, भोग, संसर्ग!! -- वर्णमाला का व .. वाराणसी, वड़ोदरा, व्यंग्य, विकास, विलाप!! विश्व-गुरू, विष, वाण में, व वर्णी व्याघात!! * होली के संकेत हैं, सारे जलें विकार!! छल, प्रपंच, धोखाधड़ी, सत्ता-मद, व्यभिचार!! * डॉ. रामकुमार रामार्य, २०.०३.१९, फाल्गुनी पूर्णिमा, होलिका दहन, अपरान्ह 4.१०

डूब रहा बेड़ा विक्रांत!!

सम्भवतः बैठा है क्लांत, वातायन से कब झांकेगा, चिक-जीवी गौरव संभ्रांत!! आये गए कई आक्रांता बीहड़ कर स्वर्णिम उपवन!! बारहमासी हो हल्ले से पतझर हुआ मधुर मधुवन!! मरुथल में पथ ढूंढ रहा है हर सपना होकर उद्भ्रांत!! सीढ़ी चढ़ना भूल गयी है, ऊंच-नीच में कड़ियां हैं!! हार-जीत के वंश पूछतीं अब माला की लड़ियां हैं!! राजनीति में बहुत सुरक्षित अपराधी, दस्यु, दुर्दांत!! सबका अपना सत्य दिव्य है, नापतौल में मूल्य गिरे!! टूट-टूटकर बिखर रहे कण खंड-खंड पाखंड घिरे!! विश्ववाद के राष्ट्रवाद से अकुलाया मन है आक्रांत!! प्रहरी, गए प्रहर का डंडा नई भोर पर पटक रहा!! जगा रहा है लुटे पलों को अपना पल्ला झटक रहा!! अपनी-अपनी सभी सम्हालें डूब रहा बेड़ा विक्रांत!! * डॉ. रा. रामकुमार, १९.०३.१९, प्रातः १०.३०, मंगलवार,

एक नकटे की कथा :

पता नहीं क्यों याद आ रही है, #समय_जीमनेवाले_कथा_कहनकारों से बचपन में सुनी एक कथा। उसके याद आने का यही सही समय है या शायद ऐसा कुछ होनेवाला है जिसके कारण यह कथा याद आ रही है। मेरे साथ ऐसा कुछ होता है, जैसा उस लेखक के साथ होता था जिसके बारे में सुना है कि वह जो लिख देता था वैसा ही घटित होता था। कमर्शियल सिनेमा वालों और सोप-ओपेरावालों यानी सीरियल-चंदों ने इसी मसाले से कई सपने देखनेवाले पात्र गूंथें जिनके सपने सच हो जाते थे। सच और यथार्थ से भागनेवाले #शतुरमुर्गी_काहिलों का स्वाभाविक परिणाम सपना देखकर सुखी रहना हो जाता है। मनोवैज्ञानिकों ने भी स्वप्न मनोविज्ञान की इस अवचेतनावस्था का अच्छा विश्लेषण किया है। यही अवचेतन मन मुझमें भी बाई डिफॉल्ट आ गया है। मेरी प्रणाली भिन्न है। मुझे स्वप्न नहीं आते, मुझे #लगता है और जो मुझे लगता है, वह हो जाता है। मुझे लग रहा है कुछ होनेवाला है। क्या पता, जो कहानी मुझे याद आ रही है, वही सच हो जाये। एक था गांव। गांव का नाम था नाकवाला गांव। गांव के पास थी एक पहाड़ी। उस पहाड़ी पर एक साधु कहीं से आया। उसने पहाड़ी पर एक पेड़ के नीचे एक पत्थर को लाल कर दिया और

विश्व महिला दिवस पर विशेष

8 मार्च : विश्व महिला दिवस ** था' नीला* आसमां उसको गुलाबी** कर दिया तूने!! नदामत की फ़ज़ाओं को नवाबी कर दिया तूने!! उड़ानों को हवा दे दी, दिया मक़सद ज़माने को, ज़मीनी फितरतों को आफताबी कर दिया तूने!! *** @कुमार ज़ाहिद, 8.3.19, शुक्रवार, * +** ( 1900 के पूर्व तक पुरुषों के शौर्य और वीरता का प्रतीक बना गुलाबी रंग, 20 वी सदी के आरंभ से ही स्त्रियों की सहनशीलता, प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक बन गया।) 00000 *नारी* जीवन है मरु-यात्रा, नारी मरु-उद्यान!! हर थकान की प्यास में, संशित सलिल समान!! संसृति का भूगोल है, वह खगोल, भू-गर्भ!! जीवन अगर प्रसंग है, नारी है संदर्भ!! गुणा, भाग, ऋण, धन सहित, नारी गणित अनंत!! बीज-गणित सी गूढ़ है, चकित स्वयं भगवंत!! शांत सरल-रेखा लगे, वक्र किन्तु व्यवहार!! ज्यामितीय नारी रखे, बहु-कोणी आधार!! नम्र-वचन, हर्षित वदन, नपी-तुली पद-चाप!! मित-भाषी नारी सुखद, बहु-भाषी है श्राप!! 0 डॉ. आर.रामकुमार, 8.3.19, शुक्रवार, 11.11 प्रातः Visit - http://drramkumarramarya.blogspot.com,

समाचार आजकल : समानांतर सेनाएं

मैं समाचार देख, सुन और पढ़ रहा हूं। जो बात मेरी तुच्छ बुद्धि को समझ में आ रही है वो यह है कि इस्लामाबाद जिस देश की राजधानी है वहां की दो समांतर राजकीय सेनाएं हैं। पाक की #शासकीय_सेना राज करती है और उन देशों से लड़ती है जो आतंकवादियों को आतंक करने पर ठोंकती है। दूसरी राजकीय सेना है #मुहम्मदी_सेना जिसे उर्दू ( अरबी/ फ़ारसी) में #जैशेमुहम्मद ( जैश = सेना, मुहम्मद = इस्लामी पैगम्बर) कहते हैं। जिस तरह के समाचार आ रहे हैं और पाकिस्तान सरकार जिस तरह से जैशेमुहम्मद के सदरेखास की रक्षा में मुस्तैद है, उससे मेरी मंद-बुद्धि को ऐसा क्यों लगता है कि सदरेखासेजैशेमुहम्मद हजरत मसूद अज़हर ही वास्तव में पड़ोसी देश की #पाकीज़ा_सरकार हैं। #यह_दुनियाकी पहली अद्भुत समानांतर सेना है जो किसी देश के सैन्य खर्चे पर चर्चे में रहती है। अन्य शब्दों में इसे "खुजली_सेना" भी कह सकते हैं जो शक्तिशाली राष्ट्रों को खुजाकर अपने "वतन, पाक वतन" को संतुष्टि पहुंचाती है। यह खुजली सेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही है, इस दृष्टि से यह भी समानांतर सेना नहीं है भी यह "देशी-सेना" से ज्यादा विशाल और

किस्तोंमें हार रहा है भारत!*

कश्मीर के अनंतनाग की बेटी महबूबा का बातचीत में भरोसा है। बातचीत के दोनों सिरों में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और राजनीति है। बातचीत पर भरोसा भी राजनीति है। मेहबूबा को #भारत_मुक्त_कश्मीर चाहिए। भारत अपने स्वर्ग को कैसे छोड़ दे। 1971 की मुक्तिवाहिनी 2019 में काम आ सकती है क्या? भारत सुना है मज़बूत हाथों में है। पर सुनते हैं नाजायज़ हमलों में रोज हमारे जवान #मर रहे हैं।( शहीद तो वो तब कहलायेंगे जब मंत्रालय प्रमाणपत्र देगा।) पुलवामा में पाकिस्तान के हमलावर संगठन ने भारतीय केंद्रीय सुरक्षा बल के ड्यूटी पर लौटते हुए 45 जवानों को मार डाला। उसके *एक मरने के लिए तैयार बिजूका* तथा 200 किलो विस्फोटक का नुकसान हुआ। यह पाकिस्तान का  लक्ष्य था, वह बेहतर था, जीत गया। इस खुशी में उसने 5 जवानों का और खून पिया। भारत में देशभक्ति का नाटक तैयार हुआ। पाकिस्तान के अज्ञात स्थान पर *भारतीय हवाई सुरक्षा बल* का हमला हुआ। 2000 किलो विस्फोटक, 5 मिराज और सैकड़ों सिपाही झोंके गए। बिना सबूत और रिकॉर्ड के 300 आतंकी/मुजाहिदीन *(त्यागियों)* मारे गए। जिस मां ने 45 हत सैनिकों  में अपना एक बेटा खोया है  वह मांगती है कि जिस