मुल्क
*
आज फुटपाथ पै परसाद है बटनेवाला।
वक़्त के साथ हुआ वक़्त से पिटनेवाला।
वाह ओ तालियों के साथ मिलेगी खुरचन,
खुद पै हंसता चला घुट-घुट के सुबकनेवाला।
मुल्क के तख्त को ईमान से डर लगता है,
चाहिये अब उसे हर बात पै बिकनेवाला।
दोस्त अखलाक को फिर पोंछ के उजला न करो,
दाम बाजार में इसका नहीं मिलनेवाला।
अपने अहसास को मुर्गों के मुकाबिल न करो,
गोश्त के सामने रोज़ा नहीं टिकने वाला।
दिन की तकरीर से या रात के जगराते से,
घर किसी का भी दुआ से नहीं चलनेवाला।
ऊगते-डूबते लोगों के बढ़ाता साये,
रोशनी बांटता सूरज भी है ढलनेवाला।
@कुमार ज़ाहिद, 18.01.2020, सनीचर,
---------------------------------०००००००००००
चांद
*
अरबों खरबों ने उसे लाख भर-नज़र देखा।
कोई बतलाए किसे चांद ने, अगर देखा।
चांद कुछ रात का हल्का सा उजाला भर है,
अंधेरी रात की तकलीफ को किधर देखा।
चांद पाने की हवस, चांद पै जाने की चुहल,
ऐसे चुगदों ने कभी भूख का सफर देखा?
कौन से ग्रह में जिंदगी है, हवा-पानी है,
ढूंढते हैं वही, जिन लोगों ने सिफर देखा।
ज़मीन से जो उठा, दौड़कर विदेश गया,
लौट आया तो उसकी बात में असर देखा।
भाई अपना है वो, धरती का एक टुकड़ा है,
चांद में हमने बदलने का भी हुनर देखा।
@कुमार ज़ाहिद, 18.01.2020, सनीचर,
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आज फुटपाथ पै परसाद है बटनेवाला।
वक़्त के साथ हुआ वक़्त से पिटनेवाला।
वाह ओ तालियों के साथ मिलेगी खुरचन,
खुद पै हंसता चला घुट-घुट के सुबकनेवाला।
मुल्क के तख्त को ईमान से डर लगता है,
चाहिये अब उसे हर बात पै बिकनेवाला।
दोस्त अखलाक को फिर पोंछ के उजला न करो,
दाम बाजार में इसका नहीं मिलनेवाला।
अपने अहसास को मुर्गों के मुकाबिल न करो,
गोश्त के सामने रोज़ा नहीं टिकने वाला।
दिन की तकरीर से या रात के जगराते से,
घर किसी का भी दुआ से नहीं चलनेवाला।
ऊगते-डूबते लोगों के बढ़ाता साये,
रोशनी बांटता सूरज भी है ढलनेवाला।
@कुमार ज़ाहिद, 18.01.2020, सनीचर,
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चांद
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अरबों खरबों ने उसे लाख भर-नज़र देखा।
कोई बतलाए किसे चांद ने, अगर देखा।
चांद कुछ रात का हल्का सा उजाला भर है,
अंधेरी रात की तकलीफ को किधर देखा।
चांद पाने की हवस, चांद पै जाने की चुहल,
ऐसे चुगदों ने कभी भूख का सफर देखा?
कौन से ग्रह में जिंदगी है, हवा-पानी है,
ढूंढते हैं वही, जिन लोगों ने सिफर देखा।
ज़मीन से जो उठा, दौड़कर विदेश गया,
लौट आया तो उसकी बात में असर देखा।
भाई अपना है वो, धरती का एक टुकड़ा है,
चांद में हमने बदलने का भी हुनर देखा।
@कुमार ज़ाहिद, 18.01.2020, सनीचर,
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