गीतकार साहित्यिक समूह में अतीव प्रशंसित गीत :
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सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
पर दर्पणों का, रूप-दर्प, चरण-दास है!!
मन की अनंत गोपनीयता का मुख-पटल!!
आंखों के भेद, भाव के प्रवाह में विफल!!
दर्पण से गुप्त-वार्ता एकांत कक्ष में,
सबके समक्ष खुलने को अत्यंत ही विकल!!
दर्पण ही नमक-मिर्च है, दर्पण मिठास है!!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
व्यक्तित्व के उतार चढ़ावों की गवाही!!
सामर्थ्य की, नितांत अभावों की गवाही!!
अपराध-बोध की, घुटन, अवसाद, शोक की,
उल्लास की, उन्मत्त प्रभावों की गवाही!!
दर्पण विवेक-रथ के सारथी की रास है!!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
यह हाथ में कबीर के निर्मल-मना रहा!!
तुलसी का मन-मुकुर निजी, लुभावना रहा!!
अपना हृदय बना लिया मीरां ने आरसी,
यह मीत सूरदास का मन-भावना रहा!!
दर्पण व्यथा-कथा, प्रगीत, उपन्यास है!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
*
डॉ. रा. रामकुमार,
25.03.19,
सोमवार, प्रातः 10 बजे.
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सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
पर दर्पणों का, रूप-दर्प, चरण-दास है!!
मन की अनंत गोपनीयता का मुख-पटल!!
आंखों के भेद, भाव के प्रवाह में विफल!!
दर्पण से गुप्त-वार्ता एकांत कक्ष में,
सबके समक्ष खुलने को अत्यंत ही विकल!!
दर्पण ही नमक-मिर्च है, दर्पण मिठास है!!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
व्यक्तित्व के उतार चढ़ावों की गवाही!!
सामर्थ्य की, नितांत अभावों की गवाही!!
अपराध-बोध की, घुटन, अवसाद, शोक की,
उल्लास की, उन्मत्त प्रभावों की गवाही!!
दर्पण विवेक-रथ के सारथी की रास है!!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
यह हाथ में कबीर के निर्मल-मना रहा!!
तुलसी का मन-मुकुर निजी, लुभावना रहा!!
अपना हृदय बना लिया मीरां ने आरसी,
यह मीत सूरदास का मन-भावना रहा!!
दर्पण व्यथा-कथा, प्रगीत, उपन्यास है!
सम्पूर्ण सृष्टि, दृष्टि का उन्नत-विकास है!!
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डॉ. रा. रामकुमार,
25.03.19,
सोमवार, प्रातः 10 बजे.
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