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दोहरा चरित्र
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मुंह से थानेदार है, मन से चिल्हर-चोर!!
आंखों से काजल चुरा, बना फिरे सिरमौर!!
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छद्म परिवर्तन
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नाम बदल कर हो गया, लखनऊ लक्ष्मण-धाम!!
दिल्ली का भी शीघ्र ही, भला करेंगे राम!!
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ठगी छलावा
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काशी को क्वेटा करो, चलो बलूचिस्तान!!
काबा हो कश्मीर फिर, भारत पाकिस्तान!!
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आधुनिक किंवदंती
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अगर बनारस में मरो, सीधे जाओ स्वर्ग!!
जीते जी चोरी, ठगी, राज, भोग, संसर्ग!!
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वर्णमाला का व
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वाराणसी, वड़ोदरा, व्यंग्य, विकास, विलाप!!
विश्व-गुरू, विष, वाण में, व वर्णी व्याघात!!
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होली के संकेत हैं, सारे जलें विकार!!
छल, प्रपंच, धोखाधड़ी, सत्ता-मद, व्यभिचार!!
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डॉ. रामकुमार रामार्य,
२०.०३.१९,
फाल्गुनी पूर्णिमा,
होलिका दहन,
अपरान्ह 4.१०
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