मुबारक हो! आज बकरीद है!! मुंबई में बकरे को लेकर हंगामा है। साठ सत्तर साल में मुझे पहली बार बकरे को लेकर हंगामा सुनाई दे रहा है। इसके पहले बकरे चुपचाप हलाल हो जाते थे। घीसू और माधो आलू के लिए एक दूसरे पर कड़ी नज़र रखते थे, ऐसी कहानी जिन दिनों पढ़ी थी, उन्हीं दिनों यह मुहावरा भी सुना था- 'दो मुल्लों में बकरा हराम होना।' हराम और हलाल में अंतर है। आज बकरीद है... बकरेवाली ईद। कल जो बकरे का हंगामा हुआ है उस बकरे के हलाल होने का दिन। सकारात्मक ही सोचें कि मुंबई में बकरे ही हलाल हो। आज के दिन ही मेरे एक विद्यार्थी का भी जन्मदिन है। संयोग से यह जन्मदिन बकरीद को पड़ रहा है। वास्तव में उसका जन्मदिन उन्तीस जून है। विद्यार्थी वैदिक हिन्दू है। कुछ संस्कारी विद्यार्थी परिवार के हिस्से हो जाते हैं, यह उन्हीं में से एक है। मेरी पत्नी (जिसे वह मम्मी कहता है) ने उसे आशीर्वाद देने के लिए फोन किया। आशीर्वाद के साथ साथ खेत और खलिहान की बात होने लगी। बातचीत में सब खबरें विस्तार से समाहित हो गईं ..थांवर नदी का बड़ा पुल डूब गया, घन्घरिया नदी का पुल बह गया... केवलारी के पास रेलवे लाइन धसक गयी.. रेल...