रंगोत्सव के बाद : 'आज का सच' 'कीचड़ होली'
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रंगों में रोगन मिले, रोगी मिले रुझान।
यंत्र-चलित उत्सव-मिलन, लवण रहित पकवान।।
यंत्र-चलित उत्सव-मिलन, लवण रहित पकवान।।
दोस्त हवा-आकाश हैं, दुश्मन हैं चट्टान।
हर संकट में हो रहा, चोट सहित यह ज्ञान।।
लज्जा, पश्चाताप, दुख, ग्लानि, खेद,विक्षोभ।
इन बोझों से दूर है, आत्ममोह, मद, लोभ।।
सकारात्मक सोच को, किया समर्पित वर्ष।
किंतु सरलता सूत-सुत, कुटिल-तनय है हर्ष।।
रंग-पर्व पर सोमरस, सुबह, दोपहर, शाम।
स्वागत द्वारों पर हुआ, पुनः अबीर अकाम।।
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@रा. रामकुमार, ०९.०३.२३, गुरुवार, ०९.३३,
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