नए वक्त की नयी रवायत , मैं क्या जानूं ?
नए अदब आदाब अदावत , मैं क्या जानूं ?
चेहरों का साहित्य गूढ़ लिपियोंवाला है ,
आंखों की अनबूझ इबारत मैं क्या जानूं ?
इस नकारखाने में हैं क़ानून ही ढलते ,
है संसद या सिर्फ इमारत , मैं क्या जानूं ?
दंगों और फ़सादों में ज़ब्तोखामोशी ,
मज़हब में क्यों घुसी सियासत ,मैं क्या जानूं ?
सीधे-सादे हर सवाल के टेढ़े उत्तर ,
क्यों विकृत हो गई ज़हानत , मैं क्या जानूं ?
क्यों प्रपंच कुत्साएं हर पल हंसती रहतीं ,
क्यों निष्ठा को मिले नदामत ,मैं क्या जानूं ?
कष्ट कसौटी ,सुख का सोना घिसा जा रहा ,
यह कैसी बेमेल शरारत , मैं क्या जानूं ?
050509/060509.
नए अदब आदाब अदावत , मैं क्या जानूं ?
चेहरों का साहित्य गूढ़ लिपियोंवाला है ,
आंखों की अनबूझ इबारत मैं क्या जानूं ?
इस नकारखाने में हैं क़ानून ही ढलते ,
है संसद या सिर्फ इमारत , मैं क्या जानूं ?
दंगों और फ़सादों में ज़ब्तोखामोशी ,
मज़हब में क्यों घुसी सियासत ,मैं क्या जानूं ?
सीधे-सादे हर सवाल के टेढ़े उत्तर ,
क्यों विकृत हो गई ज़हानत , मैं क्या जानूं ?
क्यों प्रपंच कुत्साएं हर पल हंसती रहतीं ,
क्यों निष्ठा को मिले नदामत ,मैं क्या जानूं ?
कष्ट कसौटी ,सुख का सोना घिसा जा रहा ,
यह कैसी बेमेल शरारत , मैं क्या जानूं ?
050509/060509.
Comments
naman
naman
salaam
salaam
salaam
यह कैसी बेमेल शरारत , मैं क्या जानूं ?
बहुत बढ़िया
वीनस केसरी
आंखों की अनबूझ इबारत मैं क्या जानूं ?
अच्छी रचना...
रवि कुमार, रावतभाटा