किस ओर चल रही है हवा देखते रहो।
किस वक़्त पे क्या क्या है हुआ देखते रहो।
पाज़ेब पहन नाचती हैं सर पे बिजलियां,
आंखों के आगे काला धुंआ देखते रहो।
तक़रीर कर रहे हैं शिकारी नक़ाब में-
'ज़ुल्मों से बचाएगा ख़ुदा देखते रहो।'
अनुभव से अपनी राह चुनो जां पे खेलकर,
भटकाए किताबों का लिखा देखते रहो।
चारों तरफ़ है घोर घमासान मारकाट,
काटेगी सियासत ही गला देखते रहो।
@ कुमार, ०१.१२.२०२५, सोमवार, १०.१५.

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