छिंदवाड़ा मेरे बचपन की क्रीड़ा-भूमि है, युवावस्था की स्वप्न नगरी है। रेलवे मिश्रित विद्यालय और डेनिएलशन उपाधि महाविद्यालय आज भी मेरे दिल और दिमाग में धड़कते हैं। माननीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश कमलनाथ जी ने छिंदवाड़ा को विश्वविद्यालय की सौगात देकर एक तरह से मेरे सपनों को पंख दिए हैं। इस उत्साहित ऊर्जा से अनायास यह गीत प्रवाहित हो गया जिसे मैं कन्हान, कुलबेहरा और वैनगंगा की पावनता से सिंचित छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को समर्पित करता हूँ। इस सहजस्फूर्त गीत को जन जन का प्यार मिले बस यही आकांक्षा है, इसे किसी अनुमोदन या स्वीकृति की आवश्यकता ही नहीं। *** सहज-स्फूर्त विश्वविद्यालय-कुलगीत * प्रथम पाठ १. अर्थ का, विज्ञान का, तकनीक का आधार है। विश्वविद्यालय हमारा, ज्ञान का आगार है। सतपुड़ा के धूपगढ़-सी श्रेष्ठता का यह निलय। मन पठारों-सा सरल पाकर अहं होता विलय। प्राण, पीकर बैनगंगा का सुधारस ठाठ से- लोक-दुर्गम घाट-पर्वत पर लिखे नित जय-विजय। मोगली-मानव-तनय को पाल लेता प्रेम से, वन्य-प्राणी-जगत जीवित-संस्कृति का सार है। ...