#संत्रास : #अति_अद्भुत_आभास
सखा सुन! सतत सजग संत्रास!
अंतर्मन के अन्धकक्ष में, अति अद्भुत आभास!!
अंतर्मन के अन्धकक्ष में, अति अद्भुत आभास!!
मन का घट लेकर जिज्ञासा, घाट-घाट पर जाती।
सद्भावों का मीठा पानी, कहीं नहीं वह पाती।।
ये कैसे पनघट हैं जिसमें, बुझे कभी ना प्यास!!
सम्बन्धों की करें भिन्न ही, शस्त्र-शास्त्र परिभाषा।
काट रहे दोनों निर्मम हो, आत्मीय अभिलाषा।।
अब विषपायी बना रहा, विष देकर हर विश्वास!!
काट रहे दोनों निर्मम हो, आत्मीय अभिलाषा।।
अब विषपायी बना रहा, विष देकर हर विश्वास!!
कोलाहल करते हैं काले कल्मष, कुटिल कषाय।*
व्याकुलता से ढूंढ रहा मन, नीरवता निरुपाय।।
शांति मिली, जब सांस ले चुकी, 'स्वप्नों से संन्यास'!!
व्याकुलता से ढूंढ रहा मन, नीरवता निरुपाय।।
शांति मिली, जब सांस ले चुकी, 'स्वप्नों से संन्यास'!!
.... @कुमार,
२३.०९.२३, स्नेहवार (शनि),
.........प्रातः ०७.५५
२३.०९.२३, स्नेहवार (शनि),
.........प्रातः ०७.५५
०
#शब्दार्थ : (अर्थात् यह कैसी हिंदी?)
संत्रास : अज्ञात भय, आन्तरिक पीड़ा,
अंतर्मन : अचेतन, मन की गहराई,
अंध कक्ष : अंधेरे बंद कमरे,
आभास : खटका, अनुमान, अहसास,
जिज्ञासा : जानने की इच्छा,
शस्त्र : हथियार, तलवार, भाला, रिवॉल्वर,
शास्त्र : ग्रंथ, धर्म-ग्रंथ,
विषपायी : विष पीनेवाला, सब्री, धैर्यवान, संयमी,
कल्मष : मैल, विकार, कटुता, वैमनस्य,
कषाय : कसैला, मनोविकार, करेले सा कड़वा स्वाद या अनुभव,
शांति : एक परिकल्पना, विचारहीनता, स्तब्धता,
'स्वप्नों से संन्यास' : जीवित मृत्यु,
अंतर्मन : अचेतन, मन की गहराई,
अंध कक्ष : अंधेरे बंद कमरे,
आभास : खटका, अनुमान, अहसास,
जिज्ञासा : जानने की इच्छा,
शस्त्र : हथियार, तलवार, भाला, रिवॉल्वर,
शास्त्र : ग्रंथ, धर्म-ग्रंथ,
विषपायी : विष पीनेवाला, सब्री, धैर्यवान, संयमी,
कल्मष : मैल, विकार, कटुता, वैमनस्य,
कषाय : कसैला, मनोविकार, करेले सा कड़वा स्वाद या अनुभव,
शांति : एक परिकल्पना, विचारहीनता, स्तब्धता,
'स्वप्नों से संन्यास' : जीवित मृत्यु,
Comments