क्षमावाणी, क्षमापना , मिच्छामि दुक्कड़म,खम्मत खामणा ० अगर दुखाया है दिल किसी का, तो दिल से हमको मुआफ़ कर दे।। (मुआफ़ : क्षमा,) मुहब्बतें हैं हमारी दौलत, जहान ये ए'तराफ़ कर दे।।१।।। (ए'तराफ़ : प्रमाणित,स्वीकार,अंगीकार) बड़ों की गुरुता है मान ऊंचा, लघुत्व का हो समीकरण में, गुणनफलों के सभी घटक से, ऋणात्मकता ही साफ़ कर दे।।२।। शिकायतों की इमारतों में, लगे हैं अंबार कमतरी के, सभी के क़द इस क़दर बढ़ा दे, ग़ज़ाल सारे जिराफ़ कर दे।।३।। (ग़ज़ाल : हिरण का बच्चा, ज़िराफ़ : ऊंट जैसा विशाल जंगली पशु,) बड़ी ही बारीक़ है गुमां की, सुरंग लम्बी मगर अंधेरी, क़िला अहंकार का बड़ा है, विनम्रता से ज़िहाफ़ कर दे।।४।।। (ज़िहाफ़ : लघु,) सदी की सबसे है आत्मकेंद्रित, अदब की महफ़िल, सुख़न की दुनिया, ज़रा सरककर मैं पास आऊं, तू ख़ुद को मुझमें मुज़ाफ़ कर दे।।५।। (मुज़ाफ़ : मिश्रित,) ० @ डॉ. रा. रा. कुमार, १९-२०.०९.२३, ११.५५ ,