नवगीत : पृष्ठ-भूमि में देश।
मुख्य-पृष्ठ पर,
तुम ही तुम हो
पृष्ठ-भूमि में देश।
पृष्ठ-भूमि में देश।
शब्दों में
लीपा-पोती है,
गर्जन, वर्जन, तर्जन।
हाव भाव में
अदा दोगली
वर्चस का पागलपन।
आत्म-प्रशंसा,
कटु पर-निंदा,
कुटिल राष्ट्र संदेश।
हथठेलों पर
कीर्तिमान रख
बेचें गली गली हैं।
सभी भगौड़े
तक्षक, रक्षक,
घोषित महाबली हैं।
सांठ गांठ के
उद्योगों में
कुत्सा करे निवेश।
अहंकार का
खुला प्रदर्शन
मर्दन, दमन, अनादर।
नैतिक प्रश्न
निषिद्ध, स्वत्व भी
पारित हुआ न्याय पर।
इतना संकरापन
परिवर्तन
कैसे करे प्रवेश?
०
@ कुमार, २३.०७.२३, रविवार
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