फूलों पर बने छंद : अरविंद, मालती और सायली
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फूलों के नाम पर भी छंद होते हैं। जैसे हिंदी में मालती और मराठी में सायली।
फूलों के नामों पर कविताएं भी मिलती हैं। 'जूही की कली' निराला की लोकप्रिय रचना है। 'चम्पा' नागार्जुन की कविता 'चम्पा काले अक्षर नहीं चीन्हती' की नायिका है। मालती नाम प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' में मिलता है। इन सभी फूलों के नाम जनमानस में प्यार से बसे हुए हैं। ऐसी स्थिति में, काव्य में जन जन की कोमल भावनाओं को उभारने के लिए, ये नाम न आएं, यह कैसे हो सकता है।
इसलिए सुकुमार कवियों ने फूलों के नाम पर भी छंद बनाये। यहां फूलों के नाम से प्रतिष्ठित छंदों का सोदाहरण जिक्र करेंगे।
सबसे पहले हम अरविंद और मालती छंद की चर्चा करें। ये दोनों सवैया छंद हैं। ये दोनों दो भिन्न वर्ग के फूल हैं। अरविंद कमल वर्ग का पुष्प है जो लाल, गुलाबी, सफेद, पीले, नीले आदि रंग के होते हैं। इंदीवर (नीलकमल) भी कमल या अरविंद का एक प्रकार है।
मालती चमेली वर्ग का फूल है। इन दोनों के नाम पर ही सवैया छंद बने मालती या मत्तगयंद सवैया और अरविंद सवैया।
मध्यकाल के रसीले कवि रसखान ने सवैया छंद में कृष्ण की कथाओं का वर्णन किया है और ये सवैया बहुत लोकप्रिय भी हुए हैं। मात्राओं के आधार पर निर्धारित गणों की युति पर इस छंद के चौदह प्रकार हैं। इन चौदह छंदों में अरविंद और मालती दो छंद ही पुष्प के नाम पर हैं।
अरविंद सवैया छंद में आठ सगण (सलगा) और लघु सहित 33 मात्रा या 12 और 13 पर यति सहित 25 वर्ण होते हैं। सवैया में मात्राओं और वर्णों के गठबंधन ही गण हैं।
उदाहरण :
महके-महके, दहके-दहके,
दमके अरविंद, सरोवर लाल।
तन में, मन में, लहरें भर दें,
नव मोद, उमंग, नए सुरताल।
लय नूतन, नूतन तान भरे,
ऋतुराज बसन्त, प्रफुल्ल रसाल।
सरसों हरसें जब फागुन में,
खिलते मुख, देह, कपोल, कपाल।
@ (डॉ. रा. रामकुमार,९.२.२३)
मालती छंद : सवैया के अंतर्गत ही 'मत्तगयंद' यानी मतवाला हाथी छंद है, जिसे कवियों ने 'मालती' कहकर कोमल और सुगंधित बना लिया। 'मालती' एक घने पेड़ पर जब खिलती है तो राहगीर रुककर उसकी सुगन्ध में कई पल डूबने को विवश हो जाते हैं, उनकी चाल मतवाले हाथी की सी (मत्तगयंद) हो जाती है। पुष्पवर्गी इस सवैया में सात भगण (भानस) और दो गुरू सहित 32 मात्राएं या 23 वर्ण होते हैं।
उदाहरण :
हार निहार न हार रहो, उठ वार करो, मत सोच विचारो।
जीत रहे जब लक्ष्य सदा, तब ही 'मन' को 'मनमीत' पुकारो।
जीवन का यह मंत्र बने, तुम नित्य सशक्त रहो, 'अरि' मारो।
दीन विकार सभी हत हों, विजयी तुम हो, तब क्योंकर हारो। @(डॉ. रा. रामकुमार,९.२.२३)
सायली छंद मराठी का एक छंद है। मराठी साहित्य से इस छंद को हिंदी के अनेक कवियों ने ग्रहण किया। परम्परागत भावनाओं, आस्था, भाव, प्रेम से लेकर कतिपय कवियों ने समकालीन विचारों और भावधारा को नवीन शब्दों में भी अभिव्यक्ति का आधार बनाया।
सायली मराठी में चमेली या अंग्रेजी में जैस्मिन वर्ग का एक फूल है। सफेद रंग के इस फूल को चमेली और चांदनी वर्ग के फूलों में शामिल किया जाता है। पांच से लेकर सात, आठ नौ तक पंखुड़ियां (पंखुरियां) इन फूलों में होती है। मोंगरे, मालती, जूही, चंपा, चमेली आदि फूलों को आप निजी और सार्वजनिक उपवनों में देख सकते हैं।
सायली नाम महाराष्ट्र में कन्याओं को दिया जाता है। एक प्रतिभाशाली युवा गायिका सायली काम्बले को कौन नहीं जानता। वास्तव में सायली काम्बले ने ही सायली छंद को भी चर्चित कर दिया। इसी तरह चम्पा, चमेली, जूही, मालती आदि की तरह ही ये नाम कोमल भावनाओं को बल देने वाले नाम हैं, जिनसे कवियों को विशेष प्रेम रहा है।
बहरहाल, सायली छंद में नौ शब्द निर्धारित किये गए। यह न तो मात्रिक छंद है, न वर्णिक। इसमें गणों का निर्धारण भी नहीं हैं। यह एक ऐसा शाब्दिक छंद है जिसमें केवल नौ शब्द होते हैं, (जैसे पुष्प की नौ पंखुड़ियां हों), जो पांच कतार में इस प्रकार खड़े होते हैं कि पहली कतार में एक शब्द, दूसरी में दो शब्द, तीसरी में तीन शब्द, चौथी कतार में दो शब्द और पांचवी कतार में एक शब्द होता है।
नौ शब्द की यह एक अतुकांत अर्थवान कविता है जो शब्द संख्या के निर्धारण के अतिरिक्त अन्य बंधन में नहीं बंधती। इसी एक बन्धन के कारण यह एक छंद हो जाती है।हाइकू आदि की भांति यह एक छोटा छंद है। हाइकू तीन पंक्तियों का छंद है, जिसमें वर्णों की गणना होती है- पांच, सातऔर पांच। मात्राओं की कोई निर्धारित गणना या क्रम नहीं है। सायली और हाइकू में यही एक समानता है।
सायली के उदाहरण :(22)
नौ शब्द की यह एक अतुकांत अर्थवान कविता है जो शब्द संख्या के निर्धारण के अतिरिक्त अन्य बंधन में नहीं बंधती। इसी एक बन्धन के कारण यह एक छंद हो जाती है।हाइकू आदि की भांति यह एक छोटा छंद है। हाइकू तीन पंक्तियों का छंद है, जिसमें वर्णों की गणना होती है- पांच, सातऔर पांच। मात्राओं की कोई निर्धारित गणना या क्रम नहीं है। सायली और हाइकू में यही एक समानता है।
सायली के उदाहरण :(22)
1.
सायली!बांच लीअपने ढंग सेव्यथा कथातुमने।2.सायलीपांच पंक्तियां।एक, दो, तीन,दो, एक,शब्द।।०
3.कौनहिला रहाबूढ़े दरख़्त यहफूल रहितठूंठ।
०4. नींद 1नींदआती नहींजागता बूढ़ा सूंघताकौन गहरेसोया।०5. नींद 2खर्राटेकहीं नहींकोई नहीं सोयाकेवल ओढ़ेसन्नाटे।०समांत कुंडल सायलीदस सायली01.संसार,बांट रहाघृणा और प्रेम,दोनों हैं,स्वीकार।।2.दर्ददेते होतुम साथ हमेशामात्र तुम्हींमर्द।।3.विजयहार काबेटा ही हैबताता हैसमय।।4.चोट,देती है,एक नया हौसला,हारता हैखोट।।5.प्रारम्भकरो चलनाजहां पहुँचोगे अंततःवही होगाशुभारम्भ।।6.श्रीमानआप भीगजब करते हैंरहते हैंपरेशान।।7.हारमानो मतकरो बार बारबाधाओं परप्रहार।।8.कहींजाएगी नहींनदी पीड़ा कीसड़ेगी सड़ायेगीयहीं।।9.प्यासनिरन्तर बैचैनरहती है सक्रियनहीं बैठतीउदास।।10.मित्र!अपने अंदरझांकते रहो गहरे,उकेरो नएचित्र।।11.दरअसलमिला नहींअसल मकाम कोईज़िंदगी यायावरमुसलसल।@कुमार, १५.०१.२०२३, २०.३३
12.शरीरपांच तत्वनीर धरा आकाशअग्नि औरसमीर।
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1.
राजसब परकरना चाहते हो?पहले करोप्यार।।2.झुकाओपूरी दुनियाझुक जाएगी मगरझुको पहलेतुम।3.अंधेरायहां वहांसभी पर उतरातुम्हें छोड़करचांद!।।4.प्रेमतुम्हें ढूंढनेऔर कहां जाऊंसिवाय अपनेतुम्हारे।।5.अगरकिंतु-परन्तुहोना ही थाक्यों हुईपहल?6.देशभीतर हैबाहर तो हैसिर्फ़ भूगोलसियासी।।7.शपथतेरी मेरीआंखों में हैशब्दों सेखरी।।8.मां!इतना कहाचुप रह गएहो गएपरमहंस।।9.विवेकानन्दफिर आएंगेकह गए हैंआऊंगा कभीदेखना।।10.झूठसच नहींमगर है तोसच उसकाअस्तित्व।।०@कुमार, १५.०१.२०२३, १८.४७, रविवार।
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