एक सामयिक ग़ज़ल :
मर गया हर दौर अपने आप
ये तिज़ारतदां हैं सबके बाप
जुर्म की लिखतीं इबारत रोज़
मज़लिशें वे नाम जिनका खाप
कैंचियां आएंगी उनके हाथ
ले रहे हैं जो गले का नाप
हैं जहां गड्ढ़े भरे उखड़ाव
उस सड़क की दूरियां मत माप
उस मुनी की है तपस्या श्रेष्ठ
क्रोध में भरकर जो देता श्राप
@कुमार,
शब्दार्थ/कव्याशय :
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दौर : समय, युग, लहर,
तिज़ारतदां : व्यापार बुद्धि लोग, पूंजीपति-उद्योगपति, मुनाफ़ा जीवी,
मज़लिशें : सभाएं, पंचायतें,
खाप : खाप मुख्य रुप से एक सामुदायिक संगठन है जो किसी खास जाति या गोत्र से मिलकर बना होता है। इस तरह की खा
प पंचायतों का कोई कानूनी आधार नहीं होता और सुप्रीम कोर्ट इन्हे अवैध घोषित कर चुका है।
आमतौर पर खाप में 84 गांव शामिल होते हैं। प्रत्येक गांव में एक चुनी हुई परिषद होती है जिसे पंचायत कहा जाता है। 7 गांवों की यूनिट को थंबा कहा जाता है और 12 थंबा मिलकर एक खाप पंचायत का निर्माण करते हैं। हालांकि अब 12 और 24 गांवों की खाप भी मौजूद है। सभी खापों के ऊपर सर्वखाप होती है जो इन सभी खाप पंचायतों का प्रतिनिधित्व करती है। प्रत्येक खाप अपने एक प्रतिनिधि को सर्वखाप में प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजती है। खाप पंचायत अपने विवादास्पद निर्णयों को लेकर कई बार सुर्खियों में आई है।
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