कैशलेसनेस :
आज सारे ATM घूम डाले -- धैर्य के साथ स्कूटर को पैट्रोललेस कर दिया---तब भी नतीज़ा सिफर-- सारे ATM यही कहते रहे "कोई दूसरा देखिये---यह 'कैश लेस' है।"
कैश लेस शहर ही नहीं, पूरा देश है। बैंक को करोडों हज़ार का चूना लगाकर विदेश चम्पत होनेवाले दोनों ठगों को देश वापस लाने की खबर से क्या उम्मीद की जा सकती है? ATM में कैश आ जायेगा? हम मध्यम वर्गीय लोगों का जो पैसा वो अय्याशियों में उड़ा चुके हैं, बैंक को वापस मिल जायेंगे? चिल्ल्हर जमा करने के नाम पर बैंक हम लोगों से माल्या-मोदी के उड़ाये पैसे वसूल रही है, क्या यह वसूली बंद हो जायेगी? लुटेरों की भगिनी वसूली-वाहिनियां हमला बोल रही हैं, वह कम हो जायेगा?
देश के वो लोग जिन्होंने मुगलों और अंग्रेज़ों की इकतरफ तानाशाही और तुगलकी फरमानों को नहीं भोगा, वे उस युग की झलक देख पाने का सौभाग्य भुगत रहे हैं।
सोच रहा हूं, चेकबुक जो बैंक से मिली है, बीसेक हज़ार निकालने का विद्रोह कर डालता हूं!! विद्रोह इस बात का कि कैशलेस होना देश के विकास का नारा। चेक लेकर कैश लेने गया तो विकास बब्बा के दो दांत टूटेंगे!! एक पेपर लेस रहने वाला, दूसरा कैश लेस रहने वाला!
क्या करूं क्या न करूं की किंकर्तव्यविमूढ़ता में गिरा पड़ा हूं। कोई आकर उठायेगा, इस उम्मीद को तो कब का अबोर्ट करा चुका हूं। तभी से स्त्री विमर्श की शुरुआत हुयी। बेटी बचाव के नारे चले। फीहाल कैश बचाव में विकास बब्बा लगे हुये हैं। जेब में कैश रहेगा तो उसकी डबल कर की कटार के साथ व्यापारियों के मुनाफ़ा कहीं नहीं गया है के गण्डासे से हत्या तै है। जेब में कैश नहीं होने का सीधा सा पॉजिटिव मतलब ये है कि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरिया।
अब तो छाती इस ख्याल से ही धड़ धड़ करने लगी है, कि "अल्ला, कहीं बैंक जाऊं और बैंक में यह न सुनने मिले कि पौ फटने के पहले ही तत्काल प्रभाव से सारे देश के खाते राजसात कर लिये गये हैं।
मैंने जिससे भी मन की बात की, वही सकते में आकर कहता है- "चुनावी पास में है, कुछ भी हो सकता है। विजय माल्या फिर देश आ सकता है, नीरव मोदी का प्रत्यर्पण हो सकता है, किसानो को मुआवजे का हरा खेत दिख सकता है----
मैं धड़कनें कम करने की गोली लेता हूं और खुद को शान्त रखने का प्रयास करता हूं। हालांकि मेरी धड़कनें पहले से ही कम हो गयीं हैं। अभी कुछ दिन पहले एक डॉक्टर के यहां गया था। उसके receptionist ने हार्ट बीट 60 से नीचे देखकर मेरे हाथ को बार बार मल कर देखा कि शायद 70 से ऊपर जाये, पर वैसा नहीं हुआ। तब उस युवती की परेशानी देखकर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने कहा:"परेशान न हों मैडम, मेरे हार्ट में बीट करने के लिये बस इतनी ही ताकत बची है।"
मैं शांत होकर मायूस atm card से हवा करने की नाकामयाब कोशिश करता हूं।
12 जून 2018,
आज सारे ATM घूम डाले -- धैर्य के साथ स्कूटर को पैट्रोललेस कर दिया---तब भी नतीज़ा सिफर-- सारे ATM यही कहते रहे "कोई दूसरा देखिये---यह 'कैश लेस' है।"
कैश लेस शहर ही नहीं, पूरा देश है। बैंक को करोडों हज़ार का चूना लगाकर विदेश चम्पत होनेवाले दोनों ठगों को देश वापस लाने की खबर से क्या उम्मीद की जा सकती है? ATM में कैश आ जायेगा? हम मध्यम वर्गीय लोगों का जो पैसा वो अय्याशियों में उड़ा चुके हैं, बैंक को वापस मिल जायेंगे? चिल्ल्हर जमा करने के नाम पर बैंक हम लोगों से माल्या-मोदी के उड़ाये पैसे वसूल रही है, क्या यह वसूली बंद हो जायेगी? लुटेरों की भगिनी वसूली-वाहिनियां हमला बोल रही हैं, वह कम हो जायेगा?
देश के वो लोग जिन्होंने मुगलों और अंग्रेज़ों की इकतरफ तानाशाही और तुगलकी फरमानों को नहीं भोगा, वे उस युग की झलक देख पाने का सौभाग्य भुगत रहे हैं।
सोच रहा हूं, चेकबुक जो बैंक से मिली है, बीसेक हज़ार निकालने का विद्रोह कर डालता हूं!! विद्रोह इस बात का कि कैशलेस होना देश के विकास का नारा। चेक लेकर कैश लेने गया तो विकास बब्बा के दो दांत टूटेंगे!! एक पेपर लेस रहने वाला, दूसरा कैश लेस रहने वाला!
क्या करूं क्या न करूं की किंकर्तव्यविमूढ़ता में गिरा पड़ा हूं। कोई आकर उठायेगा, इस उम्मीद को तो कब का अबोर्ट करा चुका हूं। तभी से स्त्री विमर्श की शुरुआत हुयी। बेटी बचाव के नारे चले। फीहाल कैश बचाव में विकास बब्बा लगे हुये हैं। जेब में कैश रहेगा तो उसकी डबल कर की कटार के साथ व्यापारियों के मुनाफ़ा कहीं नहीं गया है के गण्डासे से हत्या तै है। जेब में कैश नहीं होने का सीधा सा पॉजिटिव मतलब ये है कि न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरिया।
अब तो छाती इस ख्याल से ही धड़ धड़ करने लगी है, कि "अल्ला, कहीं बैंक जाऊं और बैंक में यह न सुनने मिले कि पौ फटने के पहले ही तत्काल प्रभाव से सारे देश के खाते राजसात कर लिये गये हैं।
मैंने जिससे भी मन की बात की, वही सकते में आकर कहता है- "चुनावी पास में है, कुछ भी हो सकता है। विजय माल्या फिर देश आ सकता है, नीरव मोदी का प्रत्यर्पण हो सकता है, किसानो को मुआवजे का हरा खेत दिख सकता है----
मैं धड़कनें कम करने की गोली लेता हूं और खुद को शान्त रखने का प्रयास करता हूं। हालांकि मेरी धड़कनें पहले से ही कम हो गयीं हैं। अभी कुछ दिन पहले एक डॉक्टर के यहां गया था। उसके receptionist ने हार्ट बीट 60 से नीचे देखकर मेरे हाथ को बार बार मल कर देखा कि शायद 70 से ऊपर जाये, पर वैसा नहीं हुआ। तब उस युवती की परेशानी देखकर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने कहा:"परेशान न हों मैडम, मेरे हार्ट में बीट करने के लिये बस इतनी ही ताकत बची है।"
मैं शांत होकर मायूस atm card से हवा करने की नाकामयाब कोशिश करता हूं।
12 जून 2018,
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