नदी की बाढ़ में..
बह्र १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
काफिया ~आरे
रदीफ़ डूब जाते हैं
नदी की बाढ़ में दोनों किनारे डूब जाते हैं।
पहाड़ी और चट्टानी सहारे डूब जाते हैं।
दरख्तों से नहीं रुकती ज़मीनें भी बही जातीं,
जड़ें कमज़ोर हों तो पेड़ सारे डूब जाते हैं।
उफ़क़ अब किस नजूमी से किसी का भाग्यफल पूछे,
पलक में चांद सूरज औ सितारे डूब जाते हैं।
समय अच्छा बुरा खोटा खरा कुछ भी नहीं होता,
बड़ी हो झील तो छोटे शिकारे डूब जाते हैं।
सफीने कागजी दोनों ने कितनी बार तैराये,
तुम्हारे तैर जाते हैं, हमारे डूब जाते हैं।
@कुमार
बह्र १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
काफिया ~आरे
रदीफ़ डूब जाते हैं
नदी की बाढ़ में दोनों किनारे डूब जाते हैं।
पहाड़ी और चट्टानी सहारे डूब जाते हैं।
दरख्तों से नहीं रुकती ज़मीनें भी बही जातीं,
जड़ें कमज़ोर हों तो पेड़ सारे डूब जाते हैं।
उफ़क़ अब किस नजूमी से किसी का भाग्यफल पूछे,
पलक में चांद सूरज औ सितारे डूब जाते हैं।
समय अच्छा बुरा खोटा खरा कुछ भी नहीं होता,
बड़ी हो झील तो छोटे शिकारे डूब जाते हैं।
सफीने कागजी दोनों ने कितनी बार तैराये,
तुम्हारे तैर जाते हैं, हमारे डूब जाते हैं।
@कुमार
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