शुभ प्रभातम
*मां तुझे प्रणाम!!*
*
देह तुम्हारी, सांस तुम्हारी, जीवन दान तुम्हारा!!
सब कुछ है आशीष तुम्हारा, मन अनुदान तुम्हारा!!
वो जो नाम दिया है तुमने, दुनिया उसे पुकारे,
मेरा केवल यह प्रयास, रख पाऊं मान तुम्हारा!!
@ कुमार,
विश्व-मातृ दिवस,
13 मई 18,
रविवार, 7.20 प्रातः
**
सब तहरीरें पढ़कर देखीं, उसके खत सा स्वाद नहीं!!
हर आनंद अधूरा जिसमें उसकी कोई याद नहीं!!
लाख मिले सम्मान, हजारों तोहफ़े मैंने पाये पर,
वे अभिनन्दन झूठे जिनमें, मां का आशीर्वाद नहीं!
*@कुमार,*
9.5.18,
बुधवार, प्रातः 10.55,
जबलपुर
*मां तुझे प्रणाम!!*
*
देह तुम्हारी, सांस तुम्हारी, जीवन दान तुम्हारा!!
सब कुछ है आशीष तुम्हारा, मन अनुदान तुम्हारा!!
वो जो नाम दिया है तुमने, दुनिया उसे पुकारे,
मेरा केवल यह प्रयास, रख पाऊं मान तुम्हारा!!
@ कुमार,
विश्व-मातृ दिवस,
13 मई 18,
रविवार, 7.20 प्रातः
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सब तहरीरें पढ़कर देखीं, उसके खत सा स्वाद नहीं!!
हर आनंद अधूरा जिसमें उसकी कोई याद नहीं!!
लाख मिले सम्मान, हजारों तोहफ़े मैंने पाये पर,
वे अभिनन्दन झूठे जिनमें, मां का आशीर्वाद नहीं!
*@कुमार,*
9.5.18,
बुधवार, प्रातः 10.55,
जबलपुर
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