"ढाई अक्षर" : 28 मात्रायें (16-12 पर यति)
**
आंख मूंद कर दिल से सुनना
मैं इक गीत सुनाऊं!!
शब्द, अर्थ के बिना मौन के
ढाई अक्षर गाऊं!!
***
संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मगधी, प्राची, प्राकृत, पाली!!
अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, मलयालम, बंगाली!!
सब भाषायें बेशक मेरा मान बढ़ातीं लेकिन,
मुझको केवल ढाई अक्षर, रखते गौरवशाली!!
इसके बल पर ही दुनिया में
मैं पहचान बनाऊं!!
***
हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, इसाई, सिख या वनवासी हों!!
राजे रजवाड़े वाले हों, चाहे मीरासी हों!!
राजभवन, ग्रन्थालय, कारा, उनको जकड़ न पायें,
ढाई अक्षर जो पढ़ पाएं, जन-गण-मन-वासी हों!!
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम,
सबको मीत बनाऊं!!
***
यायावर मैं पूरी दुनिया, मेरा घर आंगन है!!
पर्वत पुत्र, नदी का बेटा, मेरा मन दर्पन है!!
सबके लिये खुला है मेरे मन का रैन बसेरा,
सबको बाटूं ढाई अक्षर, यह ही अक्षुण धन है!!
देश, धर्म, भाषा से ऊपर,
उठकर प्रीत निभाऊं !!
***
@कुमार,
25.5.18
शुक्रवार,
17.53
**
आंख मूंद कर दिल से सुनना
मैं इक गीत सुनाऊं!!
शब्द, अर्थ के बिना मौन के
ढाई अक्षर गाऊं!!
***
संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मगधी, प्राची, प्राकृत, पाली!!
अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, मलयालम, बंगाली!!
सब भाषायें बेशक मेरा मान बढ़ातीं लेकिन,
मुझको केवल ढाई अक्षर, रखते गौरवशाली!!
इसके बल पर ही दुनिया में
मैं पहचान बनाऊं!!
***
हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, इसाई, सिख या वनवासी हों!!
राजे रजवाड़े वाले हों, चाहे मीरासी हों!!
राजभवन, ग्रन्थालय, कारा, उनको जकड़ न पायें,
ढाई अक्षर जो पढ़ पाएं, जन-गण-मन-वासी हों!!
उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम,
सबको मीत बनाऊं!!
***
यायावर मैं पूरी दुनिया, मेरा घर आंगन है!!
पर्वत पुत्र, नदी का बेटा, मेरा मन दर्पन है!!
सबके लिये खुला है मेरे मन का रैन बसेरा,
सबको बाटूं ढाई अक्षर, यह ही अक्षुण धन है!!
देश, धर्म, भाषा से ऊपर,
उठकर प्रीत निभाऊं !!
***
@कुमार,
25.5.18
शुक्रवार,
17.53
Comments