Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2024

कविता दिवस

  4 अक्टूबर के दिवस और कविता ... राष्ट्रीय कविता दिवस  कहीं प्रेयसी बन बैठी है, कहीं राजमाता है।  मन का हर अहसास इसी के, सरगम में गाता है।   सब के मन का भेद जानती, सबके मन में रहती- सुख दुख मिलन विरह में अपनी, साथी यह कविता है।                  (०३.१०.२४, पहला मासिक गुरुवार) राष्ट्रीय शारीरिक भाषा दिवस आंखें, भौंहें, होंठ, नाक, सब, मन के प्रखर प्रवक्ता हैं। मन के सभी मामलों के ये अधिकारी अभिवक्ता हैं। सबकी अपनी अपनी भाषा, गोपनीय संदेशे हैं, जीभ, हथेली इस प्रकरण में, सीधे सादे वक्ता हैं।                             @कुमार, ०४.१०.२४, राष्ट्रीय वोदका दिवस दस्तूर ही पीना है तो नज़रें मिला के पी।  बोतल की तली में है तिश्नगी हिला के पी। रम, वोदका, फैनी ये किसी से तो बुझेगी, हर क़िस्म की शराब अय मुशरिफ़ मिला के पी।                              @कुमार, ०४.१०.२४, विश्व मुस्कान दिवस मुस्कानों से गठबंधन हो, तड़ीपार आतंकी हों। मिठलबरों जुमलेबाजों की, ख़त्म सभी नौटंकी हों। आपस में भाईचारा हो, भेद भाव निष्कासित हों, विश्वासों के प्रेमनगर में, छुपे नहीं आशंकी हों।                                    ०४.१०.