लंका का सुशासनऔर सुरक्षा व्यवस्था : हनुमान की दृष्टि से रामचरित मानस में एक काण्ड है सुंदरकांड। अरण्य कांड में सीताहरण के बाद किष्किन्ध्याकाण्ड में सुग्रीव की सहायता मिल गयी है। पता चल गया है कि सीता लंका में लंकापति के पास है। वहीं सीता की लोकेशन (स्थिति) की पक्की पड़ताल के लिए हनुमान समुद्रपार जा रहे है। जामवंत से प्रोत्साहन पाकर उत्साह से भरे किष्किन्धा नरेश सुग्रीव के प्रमुख सेनानायक हनुमान, सीता की खोज का संकल्प लेकर और शपथ उठाकर समुद्र लांघने चले। अनेक समुद्री विपत्तियों का सामना करते हुए वे उस पार पहुंचे और एक पर्वत (गिरि) पर चढ़कर उन्होंने लंका के वैभव, समृद्धि और राज्य-प्रबंध की झलक देखी। लंका के चारों ओर ऊंची-ऊंची लहरों से भरा हुआ समुद्र है। लंका की जगमगाती हुई ऊंची-ऊंची स्वर्ण अट्टालिकाओं का प्रकाश अत्यंत भव्यता के साथ फैला हुआ है।अ नगर की शोभा तो अत्यंत ही चित्ताकर्षक है। विचित्र मणियों से सज्जित सोने की अट्टालिकाएं सघन रूप से बसी हुई हैं। चौराहों चौराहों पर बाज...