बह्र 2122 1212 22
मेरी कोशिशें..
कब कहां हादसा नहीं होता।
बस हमें ही पता नहीं होता।
उम्र रहबर है' साथ में उसके,
क्या तज्रिबः हुआ नहीं होता।
वक़्त की हैं इबारतें हम सब,
कोई' अच्छा बुरा नहीं होता।
नुक्स वो ही निकालते जिनके,
हाथ में आइना नहीं होता।
तल्खियां शीरियां मिलें जो भी
अब किसी से गिला नहीं होता।
अब तो कुछ इस तरह का आलम है,
मैं किसी से ख़फ़ा नहीं होता।
क्यों दवा, क्यों दुआ करे ज़ाहिद,
जब कोई फायदा नहीं होता।
@कुमार ज़ाहिद,
१७.०३.२०२०
मेरी कोशिशें..
कब कहां हादसा नहीं होता।
बस हमें ही पता नहीं होता।
उम्र रहबर है' साथ में उसके,
क्या तज्रिबः हुआ नहीं होता।
वक़्त की हैं इबारतें हम सब,
कोई' अच्छा बुरा नहीं होता।
नुक्स वो ही निकालते जिनके,
हाथ में आइना नहीं होता।
तल्खियां शीरियां मिलें जो भी
अब किसी से गिला नहीं होता।
अब तो कुछ इस तरह का आलम है,
मैं किसी से ख़फ़ा नहीं होता।
क्यों दवा, क्यों दुआ करे ज़ाहिद,
जब कोई फायदा नहीं होता।
@कुमार ज़ाहिद,
१७.०३.२०२०
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