#अमर_नइहा_काया_रे...
मैंने बचपन में #मां के सौजन्य से, एक अनुयायी मण्डल से ढिबरी की लौ और गुरसी की आंच में यह #कबीरपंथी_भजन सुना था। गरीब लोग थे और शीत की रात को झांझ, मंजीरा, टिमकी, ढोलक और सारंगी में कबीर के पदों और भजनों को रात-भर गाकर, रजाई और कंबलों के अभाव को, गाते बजाते पछाड़ दिया करते थे।
#स्मृति_दीवानी के खजाने से निकला #संत_कबीरदास का यह भजन प्रस्तुत है। निवेदन है, इसका और कोई भी पाठ हो सकता है क्योंकि अनपढ़ कबीर के भजन कई पाठों में प्राप्त होते हैं।
अमर नइहा काया रे अमर नइहा काया।
सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
काहे की जिबहा तो काहे की बानी?
सोने की जिबहा सुधारस बानी।
झूठी बाकी माया है रे, झूठी सारी माया...
..........सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
काहे की नारी तो काहे को पूता?
लोभ की नारी तो मोह को पूता।
काहे भरमाया है तू काहे भरमाया..
..........सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।.
काहे को मान तो काहे की बड़ाई?
ज्ञान को मान तो गुन की बड़ाई।
यही सरमाया है यही सरमाया..
.................सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
@#सदगुरु_कबीर_साहब
[Translation : The body is immortal, listen o literate man?
Q. What is the tongue made of and the same about talk, dialogue?
A. The tongue is made of gold and the dialogue are of amrit, the holy-water. And all the world is useless wealth.
Q. What is women made of and and sons too.
A. Women are made of greed and the sons of possessiveness.
Why then you are derailed.
Q. What is the pride made of and so is the good name, goodwill?
A. The pride is made of knowledge and the goodwill is of qualities.
And these are the real wealth. ]
.
सावधान : 1. जब भी किसी कबीरपंथी से मिलें तो कभी कबीरदास न कहें,कहें #सद्गुरु_कबीर_साहब । सद्गुरु भी कभी दास होता है क्या? रायपुर में शोध के समय एक कबीरपंथी #बेनी_साय ने मुझे बड़े ही प्यार से समझाया था। #स्वामी फलां फलां #दास के स्थान पर यह बात मुझे जमी।
2. ज़रा #नर_ग्यानी में छुपी व्यंग्य उक्ति का मज़ा ज़रूर लीजिएगा।
और हां, इस #नर_ज्ञानी को पहचाना आपने, यह वही है जो कबीर के अनपढ़ होने का मज़ाक उड़ाते रहे। ये कबीर के वही चिन्हित पंडित और पांडे हैं जिनकी खूब खबर ली कबीर ने। याद आया न.कबीर ने सावधान किया था..#पंडित_वाद_वदंते_झूठा}}
मैंने बचपन में #मां के सौजन्य से, एक अनुयायी मण्डल से ढिबरी की लौ और गुरसी की आंच में यह #कबीरपंथी_भजन सुना था। गरीब लोग थे और शीत की रात को झांझ, मंजीरा, टिमकी, ढोलक और सारंगी में कबीर के पदों और भजनों को रात-भर गाकर, रजाई और कंबलों के अभाव को, गाते बजाते पछाड़ दिया करते थे।
#स्मृति_दीवानी के खजाने से निकला #संत_कबीरदास का यह भजन प्रस्तुत है। निवेदन है, इसका और कोई भी पाठ हो सकता है क्योंकि अनपढ़ कबीर के भजन कई पाठों में प्राप्त होते हैं।
अमर नइहा काया रे अमर नइहा काया।
सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
काहे की जिबहा तो काहे की बानी?
सोने की जिबहा सुधारस बानी।
झूठी बाकी माया है रे, झूठी सारी माया...
..........सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
काहे की नारी तो काहे को पूता?
लोभ की नारी तो मोह को पूता।
काहे भरमाया है तू काहे भरमाया..
..........सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।.
काहे को मान तो काहे की बड़ाई?
ज्ञान को मान तो गुन की बड़ाई।
यही सरमाया है यही सरमाया..
.................सुनो #नर_ग्यानी अमर नइहा काया।
@#सदगुरु_कबीर_साहब
[Translation : The body is immortal, listen o literate man?
Q. What is the tongue made of and the same about talk, dialogue?
A. The tongue is made of gold and the dialogue are of amrit, the holy-water. And all the world is useless wealth.
Q. What is women made of and and sons too.
A. Women are made of greed and the sons of possessiveness.
Why then you are derailed.
Q. What is the pride made of and so is the good name, goodwill?
A. The pride is made of knowledge and the goodwill is of qualities.
And these are the real wealth. ]
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सावधान : 1. जब भी किसी कबीरपंथी से मिलें तो कभी कबीरदास न कहें,कहें #सद्गुरु_कबीर_साहब । सद्गुरु भी कभी दास होता है क्या? रायपुर में शोध के समय एक कबीरपंथी #बेनी_साय ने मुझे बड़े ही प्यार से समझाया था। #स्वामी फलां फलां #दास के स्थान पर यह बात मुझे जमी।
2. ज़रा #नर_ग्यानी में छुपी व्यंग्य उक्ति का मज़ा ज़रूर लीजिएगा।
और हां, इस #नर_ज्ञानी को पहचाना आपने, यह वही है जो कबीर के अनपढ़ होने का मज़ाक उड़ाते रहे। ये कबीर के वही चिन्हित पंडित और पांडे हैं जिनकी खूब खबर ली कबीर ने। याद आया न.कबीर ने सावधान किया था..#पंडित_वाद_वदंते_झूठा}}
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