मध्यप्रदेश का गीत:
1 नवम्बर को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ अपने स्थापना दिवस मना रहे है। छत्तीसगढ़ 1 नव. 2000 को अस्तितव में आया जबकि 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेष की स्थापना हुई।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश के नाम यह गीत समर्पित है जो मेरी जन्म भूमि भी है और वर्तमान में कर्मभूमि भी। छ.ग. (पूर्व मध्यप्रदेश) में मैंने उच्च शिक्षा पाई और वहीं अपने कर्मयोग का आरंभ भी किया।
अपना मध्यप्रदेश !
विन्ध्याचल ,कैमूर, सतपुड़ा , मैकल शिखर-सुवेश ।
हरी भरी धरती के सारे सपने हरे हरे हैं।
पूर्व और पश्चिम तक रेवा के तट भरे भरे हैं।
ताल और सुर-ताल हृदय से निकले तभी खरे हैं।
भरे हुए बहुमूल्य ,अनूठे ,अनुपम रत्न विशेष।
अपना मध्यप्रदेश !
नम्र निमाड़ी, बन्द्य बुंदेली, बंक बघेली बोली,
घुलमिल गोंड़ी भीली के संग करती हंसी ठिठौली।
करमा, सैला नाच मनाते सभी दिवाली होली ।
तानसेन बिस्मिल्ला की धुन में डूबे परिवेश।
अपना मध्यप्रदेश !
तेंदू और तेंदुओं वाला हर वन अभ्यारण है।
बाघ ,मयूर , हिरण, भालू के यहां तरण-तारण हैं।
महुंआ, कांस, पलाश हमारी पूजा में ‘कारण’ हैं।
कण-कण नैसर्गिक-शुभ देता शुचिता का संदेश।
अपना मध्यप्रदेश !
अब सत्ता भी संबंधों के मुकुट पहनकर आती।
नहीं राजधानी बहनें सब भाई के घर जातीं।
बापू , चाचा , मामा , दीदी-मां अब लाड़ लड़ाती।
कर सकती है ऐसे घर में कटुता कहां प्रवेश ?
अपना मध्यप्रदेश !
शब्दार्थ :
तरन-तारन / तरण-तारण
तारण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. (दूसरे को) पार करने का काम। पार उतारने की क्रिया।
२. उद्धार। निस्तार ।
तरण - तारण : संस्कृत- हिंदी - संज्ञा, पुल्लिंग : उद्धार।
वह जो भवसागर से किसी को पार उतारता हो। ईश्वर। वि० १. डूबते हुए को तारने या उबारनेवाला। २. भवसागर से पार करनेवाला।
तरण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. नदी आदि को पार करने का काम । पार करना ।
२. पानी पर तैरनेवाला तख्ता । बेडा़ ।
३. विस्तार । उद्धार ।
१. (दूसरे को) पार करने का काम। पार उतारने की क्रिया।
२. उद्धार। निस्तार ।
तरण - तारण : संस्कृत- हिंदी - संज्ञा, पुल्लिंग : उद्धार।
वह जो भवसागर से किसी को पार उतारता हो। ईश्वर। वि० १. डूबते हुए को तारने या उबारनेवाला। २. भवसागर से पार करनेवाला।
तरण संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. नदी आदि को पार करने का काम । पार करना ।
२. पानी पर तैरनेवाला तख्ता । बेडा़ ।
३. विस्तार । उद्धार ।
Comments
फिर तो सही मे इस से अच्छा प्रदेश कौन सा हो सकता है। बधाई इस रचना के लिये।
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
अपने प्रदेश की माटी की खुशबु और वहां की अप्रतिम संस्कृति का परिचय देता बेहतरीन गीत.
I have spent few years in Indore and Gwalior. It's nice to see a song dedicated to our soil.
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" कर सकती है ऐसे घर में कटुता कहां प्रवेश"
और करनी भी नहीं चाहिए. काश सब ऐसा ही सोचें और मिलकर प्रयास करें. बधाई