एक राष्ट्रीय वैराग्य-गीत
मत कर मेरा-मेरा, इक दिन- कुछ न रहेगा तेरा।
चतुर लुटेरे ले जाएंगे, भैंसी सहित बछेरा। इक दिन, कुछ
स्वर्ग-भूमि कश्मीर वणिक को, मिट्टी मोल निछावर।
हुए लेह-लदाख भी जैसे, एंड़ी लगे महावर।
दरक रहे हैं शिखर, बर्फ़ का उजड़ रहा है डेरा। इक दिन, कुछ
राजकोष बनियों का होगा, राजमार्ग', नभ-पथ'' तक'''।
अंटीलिया* से ट्रेनें उनकी, जाएंगी जन-पथ^ तक^^।
सोने की चिड़िया° के पर°° पर°°°,उनका बने बसेरा। इक दिन, कुछ
बहन-भाई*° मिलकर बदलेंगे, भारत की पहचान।
लट्ठ, लठैत, लड़ाईवाला, मेरा देश महान।
जनता घण्टा'° हो जाएगी, शासक क्रूर कसेरा^°। इक दिन, कुछ
@कुमार, २९-३०-३१.०७.२१,
०००००
शब्द शिविर /शब्दार्थ :
राजमार्ग' = सड़क सेवा, (रोड वेज़),
नभ-पथ''= वायु मार्ग(एयर वेज़), उड्डयन साम्राज्य, हवाई सेवा,
तक''' = भी, सहित, ( जैसे उसने खेत, जेवर और घर तक गिरवी रख दिया। )
अंटीलिया : फैंटम आइलैंड (प्रेतात्मा द्वीप) के नाम से अटलांटिक सागर में स्थित द्वीप का नाम है, जहां काल्पनिक कार्टून फैंटम के नायक फैंटम {भूतनाथ, (ऐसा प्रेत, जो जीवित लोगों को दिखता और बात करता है)} रहता था। हालांकि मुकेश अम्बानी ने दुनिया के सबसे मंहगे ब्रिटिश राजमहल बर्किंगघम पैलेस के बाद दूसरे क्रमांक पर दर्ज अपने मंहगे और भव्य-भवन का नाम भी अंटीलिया रखा है। उल्लेखनीय है कि अंटीलिया का फैंटम कोई रोबिनहुड जैसा अमीरों को लूटकर गरीबों को बाँटनेवाला नायक-लुटेरा नहीं था मगर वह निर्धनों और मुसीबत से लोगों को बचानेवाला शक्तिमान महानायक ज़रूर था। वह न महाराज था, न उद्योगपति।
जनपथ^ = जनता का रास्ता, दिल्ली का ऐतिहासिक क्वीन'स वे उर्फ़ रानी का मार्ग, रानी विक्टोरिया ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से व्यापार करने, आधिपत्य स्थापित करने और बाद में साम्राज्य में शामिल करने का इतिहास रचा। जनपथ को 'व्यापारियों द्वारा-साम्राज्य स्थापना का रानी का तरीका' कुछ लोग समझ सकते हैं।
तक^= लक्ष्य, मंजिल, तय शुदा स्थान( जैसे जनशताब्दी गोंदिया से रायगढ़ तक जाती है।)
सोने की चिड़िया° = एक समय समृद्ध भारत को 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था। तब दुनिया के शक्तिशाली देशों ने व्यापार या आक्रमण कर इसके समृद्ध कुंडों का दोहन किया। कोलंबस और वास्को डी गामा ने इसीलिए भारत के लिए मार्ग खोजा और मुगलों ने सीधा आक्रमण किया, अंग्रेजों ने पहले व्यापार फैलाया और बाद में शासन के नाम पर लुटा। आज अम्बानी, अडानी, टाटा बिरला आदि उद्योगपतियों ने भारत को फिर 'सोने की चिड़िया' बना दिया है और अपने नियंत्रण में रखा है। भारत अब पुनः व्यापारी महत्व का राष्ट्र हो गया है।
पर°°= पंख,
पर°°°= ऊपर,
भाई-बहन*° = पुराण कथाओं से लेकर इतिहास और वर्तमान राजनीति तक ये बड़े पवित्र, अटूट, घनिष्ठ, सहयोगी चरित्र हैं जो समय-समय पर आवश्यकता पड़ने पर अपना बलिदान, अपने भाइयों के लिए या बहनों के लिये देते रहे हैं। होलिका और हिरण्याक्ष-हिरण्यकश्यपु, (होलिका: होली उत्सव की नायिका), शूर्पणखा और रावण-कुम्भकर्ण-विभीषण,(दशहरा के कारण-तत्त्व), राम-शांता, कंस-देवकी, कृष्ण-सुभद्रा, जवाहर-विजयलक्ष्मी, माधव-वसुंधरा, राहुल-प्रियंका, मुलायम- बहनजी, नरेंद्र-सुषमा-स्मृति-दीदी आदि।
घण्टा'° = कांसा अथवा पीतल का उल्टी कुम्भी के आकार का वह पात्र जिसे धातु के दंड से पीटकर प्रायः मंदिरों, कारखानों, आश्रमों, शालाओं, ईसाई चर्चों आदि में हर घण्टे समय की सूचना देने के लिए बजाया जाता रहा है। कवियों ने इसे व्यर्थता, शून्य, उपयोग करके फेंक दी जानेवाली चीज़, मजबूर व्यक्ति आदि के अर्थ में अभिव्यंजित किया। 'क्या हाथ आया घण्टा?' जैसे निष्फलता-सूचक वाक्यों में भी नई पीढ़ी और वंचित जनता प्रयोग में लाती है।
कसेरा^° = कांसार~(संज्ञा पुलिंग, संस्कृत ~ कांस्यकार), काँसे का बरतन बनानेवाला, जनशब्द कसेरा, ठठेरा। पीतल और कांसा को ढालकर और क्रूरता से ठोंक पीटकर बर्तन बनाकर बेचनेवाला कारीगर-व्यापारी। बड़े व्यापारी या आढ़तिये अथवा बिचौलिए वे हैं जो कारीगर व्यापारियों से सामान खरीदकर ऊंचा लाभ कमाते हैं।
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