ग़ज़ल
लगावटों में खलल पड़े क्यों ख़ामोशियों से दुआ करेंगे
हमें मिली है वफ़ा की दौलत उसी के दम पर जिया करेंगे
हमारे दिल में है अम्न ओ ईमां हंसी खुशी से रहा करेंगे
जो खेलते हैं मिसाइलों से उन्हें नहीं रहनुमा करेंगे
अदब की पाकीज़गी पै हमको भरोसा है वह सदा रहेगा
जमात मजहब की तंग फ़र्ज़ी बुराइयों से बचा करेंगे
हैं रास्ते ज़िन्दगी के टेढ़े सम्हल सम्हलकर चला करेंगे
जमीन से जब जुड़े हैं हम तो गिरा करेंगे उठा करेंगे
गुज़ारिशोइल्तज़ा इनायत की जब नज़र से न देखी जाएं
तो इंकलाबोबगावतों को मिलेगा मौक़ा वग़ा करेंगे
तुम्हारे दस्ते हिना के आगे बहार क्या है गुलिस्तां क्या है
कि नफ़्ज़ो जां खुश फ़िजां करेंगे कि ज़िन्दगी खुशनुमा करेंगे
सभी यही चाहते हैं 'ज़ाहिद' सलीब चढ़कर बनें मसीहा
ज़रा ये उनसे भी पूछ देखो किसे-किसे वो मना करेंगे
@कुमार ज़ाहिद, २६.१०.२०२०, १२-३.३०.१०.२०३०
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