नैनपुर की पहचान उमाशंकर के साथ होती है। नैनपुर के सबसे बड़े भूखण्ड के वे स्वामी थे। स्कूल , कारखाने, गोदाम , बिल्डिंग , बैंक भवन ,जीवनबीमा भवन सब उनके थे। सबसे ज्यादा लोग उनके थे । अमीर उनके थे गरीब उनके थे। सभी विभागों के अधिकारी उनके थे। छोटे बड़े कर्मचारी उनके थे। वे अपने एक मित्र के इलाज के सिलसिले में मुबई गए थे। एक होटल में कमरा बुक करा रहे थे। फोन पर बात करते हुए वे एक खराब लिफ्ट के टूटे हुए बाटम से नीच गिर गए। उनके न रहने की खबर नगर को मिली और सब स्तब्ध रह गए। हमने सीखा है सलीक़ा तुम्हीं से जीने का। दर्द सहने की अदा ,ढंग ज़ख़्म सीने का । हादसों और करिश्मों से भरी दुनिया में, मौत दरवाज़ा खुला छोड़ती है ज़ीने का।। 0 रखी तुमने बुनियाद , जब ज़िन्दगी की। अदा हमने सीखी है , तब जिन्दगी की। वो मुस्काते आना , वो मुस्काते जाना, तुम्हें आंखें ढूंढेगी , अब ज़िन्दगी की।। 0 इस मिट्टी का चलन निराला , गिनगिन बोते अनगिन पाते। बीच सड़क का नगर ज़िन्दगी , कितने आते कितने जाते। पत्थर होकर रह जाते हैं , शिलालेख लिखवानेवाले , अमिट वही चेहरे होते जो दिल पर छाप छोड़कर जाते ।। 0 भीड़ भाड़ से भरा रास्ता यहीं पड़ा रह जात...