चिट्ठी आई है। गांवों में सब हरा भरा है चिट्ठी आयी है। इस सबूत के लिए एक फ़ोटो चिपकायी है। ज़ीने के सर से ऊपर तक ऊंचा हुआ पपीता। पके हुए फल पायदान से तोडूं, हुआ सुभीता। उसी पपीते ने कद्दू की बेल चढ़ाई है। इस सबूत के लिए.... नींबू के झरबरे पेड़ पर सेमी की मालाएं। तोड़ रहीं हैं जात-पांत की सड़ी गली सीमाएं। सदा साग में स्वाद अनोखा, भरे खटाई है। इस सबूत के लिए.... नन्हे लाल भेजरे ऊपर, तले चने के बिरवे। अमरूदों पर झूल रहे हैं हरे करेले कड़वे। उधर तुअर के बीच घनी, मैथी छ्तराई है। इस सबूत के लिए.... गांवों में सब हरा भरा है चिट्ठी आयी है। इस सबूत के लिए एक फ़ोटो चिपकायी है। @ कुमार, १६.१०.२४, एकादशी, अपरान्ह १४.३५