एक ग़ज़ल की कोशिश : आत्मविश्वास के पक्ष में
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दुनिया को सभी नुक़्स नफ़ा तौलने तो दो
अंदर जो बोलता है उसे बोलने तो दो
अंदर जो बोलता है उसे बोलने तो दो
हीरे जवाहरात व गौहर के ख़ब्त को
तहख़ाना दिल का आज ज़रा खोलने तो दो
अमरित जो हौसले का अगर पी चुके हो तुम
फिर रोज़ ज़ह्र घोले जहां घोलने तो दो
गर्दिश पड़ाव ख़ास सरे राह डालती
यह छाती छोलना है उसे छोलने तो दो
हुंकार के ख़िलाफ़ तो डंके की चोट हो
एकाध ज़लज़ले से ज़मीं डोलने तो दो
@कुमार, 23-25.05.2022
कुछ शब्दार्थ :
नक़्स/नुक़्स نَقْص : संज्ञा, पुल्लिंग : त्रुटी, ख़राबी, कमी, कसर, दाग़, धब्बा, खोट, ख़सारा,आर्थिक~ घाटा, नुक़्सान
नफ़ा' نَفَع संज्ञा, पुल्लिंग,आर्थिक ~ हित, लाभ, फ़ायदा
ख़ब्त : خَبْط संज्ञा, पुल्लिंग: उन्माद, सनक,बुद्धि-विकार, पागलपन,
गौहर : گَوہر मोती, मुक्ता, मुक्तक, मुक्ताहल, मोती, रत्न, बुद्धिमत्ता, किसी वस्तु की प्रकृति,
गर्दिश گَرْدِش संज्ञा, स्त्रीलिंग, विपत्ति, मुसीबत, आफ़त, संकट का फेर,
ख़िलाफ़ خِلاف : विपरीत, विरुद्ध
ज़लज़ला: زَلْزَلَہ भूडोल, भूचाल, भूप्रकंप
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