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Showing posts from February, 2021

आस्था और अर्थतंत्र का बीजगणित : लोचदऊँ

आस्था और अर्थतंत्र का बीजगणित : लोचदऊँ ''लॉक डाउन' में अर्थव्यवस्था चरमरा गई है', ऐसे हृदय विदारक समाचार मिलते रहते थे। चारों ओर उत्पादन और व्यापार के द्वार पर सन्नाटा छाया हुआ था। अर्थोपार्जन के हर माध्यम पर ताले पड़ गए थे। निर्माण की मजदूर इकाइयां उजड़े हुए घरों में लौटकर दम तोड़ रही थीं।  देश महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के टिड्डी दलों से घिर चुका था। केवल मुसीबतों की चर्चा ही ज़ोर- ज़ोर से बात कर रही थी बाक़ी सारी बातें सहमी और घिघियायी हुई थीं। कानाफूसी होने लगी थी कि ग़रीब देश और कितना ग़रीब हो जाएगा। अब पुलिस और सेना का क्या होगा? सरकारी अधिकारी और मंत्रियों का क्या होगा? पूंजीपतियों और उद्योगपतियों का क्या होगा? बैंक में करोड़ों मध्यम वर्गी साधारण लोगों का जो पैसा जमा है उसका क्या होगा? क्या जान और माल देश की अस्मिता को बचाने के लिए राजसात हो जाएगा? तरह तरह की चिंताओं से चिंतनशील प्राणियों का स्वास्थ्य खराब हो रहा था। इम्मुनिटी क्षीण हो रही थी और कमज़ोर होती दीवारों को तोड़कर कोविड शरीरों में प्रवेश कर रहा था। मृतदेहें आंकड़ें बना रहीं थीं।  धीरे-धीरे दस महीने बीते। नया सा...