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Showing posts from October, 2025

पांडुलिपि चर्चा/समीक्षा

 विहंगम्य (पांडुलिपि चर्चा/समीक्षा ) ' तृण पुष्पों का संचय': डॉ. रवींद्र सोनवाने डॉ. रवींद्र सोनवाने मेरे महावियालीन साथी रहे हैं। गणित के प्राध्यापक होने के साथ साथ वे साहित्य, इतिहास, समाजविज्ञान के भी गम्भीर अध्येता हैं। सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में भी उनका पर्याप्त योगदान है। लगातार उनसे विचार विमर्श होते रहता है। कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने बताया कि उनका तीसरा स्वतंत्र काव्य संकलन प्रकाशनाधीन है। वे चाहते हैं कि कोई टिप्पणी, भूमिका या समीक्षा उस पर लिख दूँ, ताकि रचना का एक दृष्टि से मूल्यांकन हो जाये।  मैं द्विविधा में पड़ गया।  घनिष्ठ रचनाकार के लेखन पर लिखित रूप से कुछ व्यक्त करने की अपनी सुविधाएं भी हैं और दुविधाएं भी। सुविधा यह कि रचना कर्म की सूक्ष्मतर जानकारी आपको उपलब्ध रहती है और दुरूहता या अस्पष्टता की स्थिति में चर्चा कर हल निकाला जा सकता है।  दुविधा मतभेद की स्थिति में होती है। चिंतन, विचारधारा, परिस्थियों के प्रति अपने अपने दृष्टिकोण, मान्यताएं, आग्रह दुराग्रह आदि स्वाभाविक मानवीय द्वंद्व हैं। लेखन में इससे ऊपर और हटकर भी मतभेद स्वाभाविक है। भाषा, बिम्...