दुनिया भर के तमाम दोस्तों, जाने और अनजाने साथियों को नये वर्ष हार्दिक शुभकामनाएं। नये साल में आप सारे इरादे पूरे कर डालें। धुंध हटाकर सोने जैसी सुबह सिरहाने आयी। अलस भोर के सपने सच होते, बतलाने आयी।। अधभिंच आंखें याद कर रहीं, बीते कल की बातें। भागमभाग भरे दिन को ले उड़ी नशीली रातें। तन्य तनावों में भी कसकर पकड़ीं कुछ सौगातें। जो पल मुट्ठी से फिसले थे, उन्हें उठाने आयी। सपने क्या देखे मैंने, केवल अभाव फोड़े थे। उनके अंदर स्वर्णबीज थे, वे भी फिर तोड़े थे। गरियां कुछ उपलब्ध हुईं या तुष्ट भाव थोड़े थे। इन मेवों का आतिथेय आभार चबाने आयी। भले, भेदभावों का दलदल, गहरे होते जाता। भले द्वेष, पथ पर दुविधा क,े सौ सौ रोड़े लाता। जिसको बहुत दूर जाना है, वह तो दौड़े जाता। कमर कटीली कसकर कितने काम कराने आयी। अस्त-व्यस्त पीड़ाएं झाड़ीं, स्वच्छ चादरें डालीं। धूप धुले शुभ संकल्पों वाली, आंगन में फैला ली, नव रोपण के लिए बना ली, क्यारी नयी निराली। नव उमंग की टोली भी उत्साह बढ़ाने आयी धुंध हटाकर सोने जैसी सुबह सिरहाने आयी। 29.12.11 डाॅ.आर.रामकुमार, विवेकानंद नगर, बालाघाट -...