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Showing posts from October, 2011

धनतेरस

दुनिया भर के तमाम मित्रों को धनतेरस और दीपावली की शुभकामनाएं। आज धनतेरस है। दीपावली के पखवाड़े की त्रयोदशी को ही धनतेरस कहा जाता है। दीपावली लक्ष्मी पूजन की अमावस्या है , धनतेरस खरीद फरोख्त की संध्या है। पर्वों , त्यौहारों और हमारी सामाजिकता के बनने, प्रचलित होने और विकसित होने के बहुविध आयाम हैं। बरसात हमारे रहन सहन और घरगृहस्थी पर जो कीचड़ उछालती है वह हम दुर्गोत्सव के रावणवध तक किसी तरह वैसा ही रहने देते हैं। फिर शुरू होता है साफ़ सफाई का दौर। जो प्रायः तीसरा को और उसके बाद शुद्धिकरण के साथ होता है। फिर जाते हैं गंगा , जहां दशगात्र और द्वादशी आदि तर्पणादि के क्रियाकर्म कार्यक्रम के रूप में क्रमवार निपटाये जाते हैं। फिर होती है तेरहीं जिसे गंगाजली पूजन भी कहते हैं। इस दिन समाज के साथ बैठकर खाना खाया जाता है और मृतक को बताया जाता है कि आज तुम्हारे मरने पर हमें और समाज को विश्वास हो गया और हमारे सारे रिश्ते नाते लेनदेन वाद व्यवहार सब समाप्त। तुम अब कहीं भी सुविधानुसार जन्म ले सकते हो। रावण के परिवार में इन पंद्रह दिनों में यही हुआ होगा। किन्तु दीपावली तो राम के अयोध्या , अपनी राजधानी ल...