बच्चा है एक। इसी देश का है। इस देश में करोड़ों बच्चे हैं। ये करोड़ों बच्चे टीवी देखते हैं। टीवी में इन करोड़ों को हम क्या सिखा रहे हैं - स्टेचू ? स्टेचू बच्चों और बचकाने नवयुवकों का एक खेल है। पिछली पीढ़ियों के सैकड़ों बच्चे यही खेल खेलकर बड़े हुए है। खेल बुरा नहीं हैं। इस खेल का आविष्कार सैनिक शिविरों में हुआ होगा। आर्डर हुआ - ‘स्टेचू’ ..तो चलता हुआ सैनिक प्रतिमा की तरह स्थिर हो गया। आर्डर हुआ ‘गो’ तो वह फिर हलचल में आ गया। इससे हमें अपने ऊपर नियंत्रण रखने का अभ्यास कराया जाता है। ओबेडियेन्स या हुक्मउदूली अथवा आज्ञाकारिता सिखायी जाती है। हम सीखने के लिए ही पैदा हुए हैं और बड़ी जल्दी आज्ञाकारिता या हुक्मउदूली अथवा ओबेडियेन्स को हम सीख जाते हैं। अपने अपने दलों में, वर्गों में ,जाति और संप्रदायों में , प्रार्थना समूहों में ,अपनी अपनी संस्कृति की भाषा मे , बस एक ही खेल खेला जा रहा है-अटेन्शन और रिलेक्स...सावधान और विश्राम, दक्षः और आरंभः ... स्टेचू का यह खेल उस दिन मैंने किसी कार्यक्रम के बीच विज्ञापन सेशन में देखा...एक बच्चा अपनी हर मनपसंद चीज़ को स्टेचू करता आ रहा है। मुझे याद तो नहीं हैं किन ...