स्कूल ग्राउंड में अंधेरा है। अंधेरे में स्कूल ग्राउंड मे खड़ा प्रेतवाला पीपल का पेड़ और भी भयानक लग रहा है। उसी भयानक पेड़ के नीचे बने ,टूटे फूटे चबूतरे पर संता गुरुजी चैन की नींद सो रहे हैं। संता गुरुजी का मन जब जब खराब होता है , तब तब प्राइमरी स्कूल के खुले ग्राउंड के एक कोने में खड़ा पीपल का पेड़ ही उनको शांति देता है। शांति के लिए तो सभी जीनेवाले बुरी तरह मरते रहते हैं। लोगों का कहना है कि जो लोग बुरी तरह मरते हैं , वे लोग प्रेत बनकर इसी पीपल के पेड़ में रहने लगते हैं। आदमियों के मरने से बननेवाले भूत , प्रेत , बेताल वगैरह प्रायः पेड़ में ही रहते हैं। इसका कोई पौराणिक कारण होगा। गुरुजी उस कारण पर नहीं जाते और परंपरा के अनुसार अन्य लोगों की तरह जब तक सांस है , पेड़ के नीचे रहते हैं। मरने पर पेड़ पर तो रहना ही है। ऐसा विश्वास है कि इस स्कूल ग्राउंड वाले पीपल के पेड़ पर भूत रहते हैं। जब-जब किसी बच्चे की स्कूल में तबीयत खराब हो जाती है , तब-तब पूरे गांव में फुसफुसाहट फैल जाती है कि पीपलवाले प्रेत ने सताया है। बच्चे के परिवारवाले तब छोटी-मोटी पूजा करके पीपल के प्रेत को मनाया करते हैं। उस पूजा ...