पूर्वकथा - तरह तरह की मनःस्थितियों के चलते चलते अंततः शववाहन में शव को डालकर शवयात्रा शुरू हुई। होता क्या है कि जीते जी हमें एक से अधिक शवयात्रा में शामिल होना पड़ता है। शवयात्रा में सभी को शामिल होना चाहिए। जान पहचान का हो ना हो, समय है तो किसी परिचित की शवयात्रा में शामिल हो जाना चाहिए। इससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अच्छा आप कुछ कहना चाहते हैं? मानता हूं आपकी बात। इतना फालतू वक्त किसके पास है? अपनों की, अपने पहचान वालों की शवयात्रा में शामिल जोने का वक्त ही नहीं है तो फिर पराए, अनजाने लोगों की शवयात्रा में शामिल कौन बेवकूफ होगा। यह सुझाव मूर्खतापूर्ण है। लेकिन देखिए फिर भी कभी शामिल होकर.....सीखना तो जीवन भर चलता है सर! चलिए मैं आपको एक अपरिचित की श वयात्रा में लिए चलता हूं। आपके कीमती समय का ख्याल रखकर बहुत ही संक्षिप्त शवयात्रा में लिवाने आया हूं। मेरे साथ तो चल सकते हैं न....