tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post792777902133484776..comments2024-02-28T00:50:07.173-08:00Comments on अनुभूतियां-अभिव्यक्तियां: प्रेतवाला पीपलDr.R.Ramkumarhttp://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-39759419836034419512010-07-14T19:34:18.096-07:002010-07-14T19:34:18.096-07:00सरल और सुंदर शब्द प्रयोग जो कहानी को विशेष बना देत...सरल और सुंदर शब्द प्रयोग जो कहानी को विशेष बना देती है..कहानी का यही मतलब होता है जो आसानी से जनसामान्य तक पहुँच जाए आप अपने प्रयास में सफलता पाए हैं...बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-75197338922005706112010-07-14T06:33:13.986-07:002010-07-14T06:33:13.986-07:00bahut bahut aabhar ek pyara sa comment mere blog p...bahut bahut aabhar ek pyara sa comment mere blog par chodne ke liye...............<br /><br />Imandaar mainahatee neetimarg par chalne wala ek aadmee aaj kis thour se guar raha hai kitna frustration hai.....?uskee jindgee me sabhee jeevant ho gaya hai..........<br />aaj kee rajneeti par bhee accha kataksh hai.........<br />aapkee lekhan shailee ko naman...........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-79088104985289085272010-07-13T10:49:36.287-07:002010-07-13T10:49:36.287-07:00Bahut kuch kah diya aapne ek hi post me.Prabhavi l...Bahut kuch kah diya aapne ek hi post me.Prabhavi lekhan.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-76428205852503077942010-07-10T02:16:14.289-07:002010-07-10T02:16:14.289-07:00Beautifully written,nice post !Beautifully written,nice post !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-30805762898771720332010-07-08T22:01:43.798-07:002010-07-08T22:01:43.798-07:00रवि जी! मैं जरा अस्तव्यस्त हो गया था। एक कवि बहुत ...रवि जी! मैं जरा अस्तव्यस्त हो गया था। एक कवि बहुत सी बात बिना कहे समझ लेता है ..आप तो गंभीर कवि हैं..और जुझारू भी ..इसलिए न आने की वजह को तकनीकि समझ लें...<br /><br />ज़ाहिद साहब! क्या कहूं ..आपने तो एक समीक्षक की तरह मेरी कहानी का विश्लेशण किया है..किन शब्दों में आपका शुक्रिया करूं..<br />बस आदाब!<br /><br />कौतुहल जी ! कितना कम और सरल लिखकर कितना सार्थक कह गए आप..आपके बहुमूल्य <br />विचार मेरे लिए समिधात्मक हैं।<br />नमन!Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-89772775409533995482010-07-08T21:53:40.009-07:002010-07-08T21:53:40.009-07:00निर्मला मेम! प्रणाम !
आपने बड़ी सूक्ष्मता के साथ इस...निर्मला मेम! प्रणाम !<br />आपने बड़ी सूक्ष्मता के साथ इस ‘भयानक ’ कहानी पर दृष्टिपात किया और अपना आशीर्वाद दिया।<br /><br />मैं कृतार्थ हुआ। आप जैसे गुणियों की टिपपणियां ही किसी रचनाकार की शक्ति होती है।<br /><br />कृपा बनाए रखें...Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-27751554321543923862010-07-08T21:46:19.865-07:002010-07-08T21:46:19.865-07:00रचना जी!
देर आयद दुरुस्त आयद! आप मेरे ब्लाग को र...रचना जी! <br />देर आयद दुरुस्त आयद! आप मेरे ब्लाग को रचनात्मक बनाए रखने के लिए कितनी संवेदनशील हैं यह आपकी आत्मीय टिप्पणियां बता ही देती हैं।<br /><br />रहा सवाल छिद्रान्वेशण का और शोर मचाकर ध्यान बंटाने का ....तो वह एक आदत होती है..भाई रवि स्वर्णकार से मैंने ‘‘ऐसे लोगों पर ज्यादा तवज्जों न देना ही ठीक है,’’यह सीखा है। रवि बहुत सुलझे हुए और गंभीर व्यक्तित्व के धनी हैं..आप तो ब्लागों का इतना भ्रमण करती हैं ,आप इसे बेहतर समझती हैं।<br /><br />(रवि भाई आपको उद्धत कर रहा हूं..अधिकार के साथ और आप भी बखूबी समझ रहे कि इशारा किस तरफ है..)<br /><br />आप सुलझी हुई हैं इसलिए तकनीकि खराबियों को और विवशताओं को समझती है। <br />वैसे दोष पर इंगित करना भी मित्रता का प्रमाण है। मैं सकारात्मकता का पक्षधर हूं..<br /><br />रचना जी! कुछ लोग जो मेरी रचनात्मकता के संवाहक हैं उनमें से आप भी एक हैं...<br />मैं अपने वर्ष भर के अनुभवों पर एक आलेख बना रहा हूं ...जिनमें इन अनुभवों का अनुभूतियों का समावेष करूंगा<br /><br />इस बार इतने गरिमामय सौजन्य के साथ पधारने और टिप्पणी करने का हार्दिक धन्यवाद।Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-84640087219287407172010-07-07T23:41:25.438-07:002010-07-07T23:41:25.438-07:00१ देर से आने के लिए माफ़ी
२ पर आपकी पोस्ट को तसल्ल...१ देर से आने के लिए माफ़ी<br />२ पर आपकी पोस्ट को तसल्ली से पढ़ना चाहती हूँ सो समय निकलना पड़ता है<br />३ कई दिन से नेट भी परेशान कर रहा था <br />४ भाषा लिपि के दोष पर दूसरों की पोस्ट पर बहुत ध्यान नहीं देती क्योंकि शायद कभी मेरी पोस्ट पर भी हो जाता है किसी किसी शब्द को सही सही लिखना बड़ा मुश्किल हो जाता है<br />५ आपकी पोस्ट को क्या कहूँ आप तो बहुत मंझा हुआ लिखते हैं "गुरुजी उस कारण पर नहीं जाते और परंपरा के अनुसार अन्य लोगों की तरह जब तक सांस है , पेड़ के नीचे रहते हैं। मरने पर पेड़ पर तो रहना ही है"।"आज तक जिस जिस को माना है , उसी ने सताया है। आदमी हो कि देवता। प्रेत हो कि दुष्टग्रह। मान देने पर सभी ऐंठते हैं।" " गुस्से और हताशा में गुरुजी ने फिर ब्याज-क्षमावाणी की उद्घोषणा की थी और अवसाद का प्याला पीते हुए पीपल के नीचे आकर बैठ गए थे" " हंडियों को अफसोस के साथ देखा और उनमें जिनकी हड्डियां थी उनपर तरस खाया कि बेचारे मरने के बाद भी हंडियों में कैद हो रहे हैं"। हर एक बात ने जीवन दर्शन और यथार्थ कंधे से कंधा मिलाये हुए हैं आभाररचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-87089591579753348742010-07-05T10:25:45.298-07:002010-07-05T10:25:45.298-07:00शांति के लिए तो सभी जीनेवाले बुरी तरह मरते रहते है...शांति के लिए तो सभी जीनेवाले बुरी तरह मरते रहते हैं। लोगों का कहना है कि जो लोग बुरी तरह मरते हैं , वे लोग प्रेत बनकर इसी पीपल के पेड़ में रहने लगते हैं। आदमियों के मरने से बननेवाले भूत , प्रेत , बेताल वगैरह प्रायः पेड़ में ही रहते हैं। इसका कोई पौराणिक कारण होगा। गुरुजी उस कारण पर नहीं जाते और परंपरा के अनुसार अन्य लोगों की तरह जब तक सांस है , पेड़ के नीचे रहते हैं। मरने पर पेड़ पर तो रहना ही है। <br /><br /><br />सच्ची और खरी कहानी..सुबोध , सहज और सार्थक..Kumar Koutuhalhttps://www.blogger.com/profile/01987984875159921409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-73610935362829874012010-07-04T08:34:29.047-07:002010-07-04T08:34:29.047-07:00पर मुझ जैसे आदमी की तरफ नहीं देखते जो जीते जी मर च...पर मुझ जैसे आदमी की तरफ नहीं देखते जो जीते जी मर चुका है। मैं कब का और कितनी मौत मर चुका हूं कभी सोचा है.. तुम्हारे धर्म ने, तुम्हारी दोगली नैतिकता ने , तुम्हारे ताकतवर स्वार्थों ने , तुम्हारे छल , कपट , प्रपंचों ने मुझे दौड़ा दौड़ाकर मारा है। मेरा शरीर तो सिर्फ कर्तव्यों की ठठरी पर बंधा हुआ चल रहा है। तुम इसे जीना कहते हो ? मुझसे कहते हो कि मैं जब मरूंगा... अब और क्या मरूंगा..मैं..?<br />जीवन का सत्य इस कहानी मे जिस तरह जिवन्त किया है लाजवाब है। कथ्य कथानक शैली शिल्प हर तरफ से उमदा कहानी है। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-4818605284630981672010-07-04T06:18:05.193-07:002010-07-04T06:18:05.193-07:00जितनी बार सुधारी उतनीबार हुई सर जी ,
समझें या न सम...जितनी बार सुधारी उतनीबार हुई सर जी ,<br />समझें या न समझें आपकी मरजी ।<br />हमीं टाइपिस्ट, हमीं प्रूफ रीडर , हमीं संपादक , हमीं प्रकाशक ....टेक्नीकल त्रुटि के लिए किस पर दोष मढ़े , बच्चा समझकर माफ करें और विद्वता के साथ सुधारते हुए पढ़ लें , गुस्सा न करें ....Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-23730332135998088572010-07-04T06:13:52.853-07:002010-07-04T06:13:52.853-07:00गिरिजेश जी ,
इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्...गिरिजेश जी , <br />इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्ट करने का धन्यवाद।<br />दोष दूर करने का प्रयास करूंगा..दोष आप जैसे चौकन्ने लोगों के साथ से ही दूर होगा।<br />कृति से यूनी कोड में कनवर्सन में फोंट की समस्या आ रही है। <br />पुनः धन्यवाद!<br /><br />Note : पहले की पोस्ट में हुई कापी पेस्ट की त्रुटि भी दूर कर दी है।<br />कापी पेस्ट की त्रुटि भी दूर कर दी है।Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-74200793269650504232010-07-04T06:13:46.751-07:002010-07-04T06:13:46.751-07:00गिरिजेश जी ,
इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्...गिरिजेश जी , <br />इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्ट करने का धन्यवाद।<br />दोष दूर करने का प्रयास करूंगा..दोष आप जैसे चौकन्ने लोगों के साथ से ही दूर होगा।<br />कृति से यूनी कोड में कनवर्सन में फोंट की समस्या आ रही है। <br />पुनः धन्यवाद!<br /><br />Note : पहले की पोस्ट में हुई कापी पेस्ट की त्रुटि भी दूर कर दी है।<br />कापी पेस्ट की त्रुटि भी दूर कर दी है।Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-15343756923051435222010-07-04T05:24:43.869-07:002010-07-04T05:24:43.869-07:00गिरिजेश जी ,
इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्...गिरिजेश जी , <br />इतनी गंभीरता पूर्वक कहानी पढ़कर कमेन्ट करने का धन्यवाद।<br />दोष दूर करने का प्रयास आप जैसे चौकन्ने लोगों के साथ से ही दूर होगा।<br />कृति से यूनी कोड में कनवर्सन में फोंट की समस्या आ रही है। <br />पुनः धन्यवाद!Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-28450679760345208292010-07-04T04:30:11.230-07:002010-07-04T04:30:11.230-07:00बहुत बढ़िया। बिना लाग लपेट के सीधी बात।
कई जगहों...बहुत बढ़िया। बिना लाग लपेट के सीधी बात। <br /><br />कई जगहों पर 'श' की जगह 'ष' का प्रयोग खटकता है। ठीक कीजिए। <br />कत्र्तव्यों - कर्तव्यों<br /> केन्द्रांे - केन्द्रों<br />प्रष्नकत्र्ता - प्रश्नकर्ता <br /><br />एक बार ठीक से पढ़ लीजिए और बाकी ग़लतियों को भी सुधार दीजिए।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-71858688784897931142010-07-01T10:34:50.032-07:002010-07-01T10:34:50.032-07:00प्रस्तुति ,शिल्प और कथ्य के समस्त लक्ष्यों पर सटीक...प्रस्तुति ,शिल्प और कथ्य के समस्त लक्ष्यों पर सटीक और सार्थक यथार्थवादी कहानी..<br />लम्बे समय तक याद रहेगी<br />बधाईkumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-57183488763264073942010-07-01T07:26:50.202-07:002010-07-01T07:26:50.202-07:00गज़ब का लिखा है...
बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए......गज़ब का लिखा है...<br />बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए...Anonymousnoreply@blogger.com