tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post6063209900576453028..comments2024-02-28T00:50:07.173-08:00Comments on अनुभूतियां-अभिव्यक्तियां: सभी परिन्दे उड़ जाते हैं पेड़ खड़ा रह जाता है।Dr.R.Ramkumarhttp://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-91540500902564085752010-04-19T20:49:04.460-07:002010-04-19T20:49:04.460-07:00भीड़ भाड़ से भरा रास्ता यहीं पड़ा रह जाता है।
सभी परि...भीड़ भाड़ से भरा रास्ता यहीं पड़ा रह जाता है।<br />सभी परिन्दे उड़ जाते हैं पेड़ खड़ा रह जाता है।<br />-बेहद खूबसूरत लिखा है.<br />इन सभी मुक्तकों में जीवन दर्शन दिख रहा है.<br /><br />[-आप के अन्य लेख भी पढ़े ..बहुत अच्छा व्यंग्य लिखते हैं.]Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-70048978969406927112010-03-21T18:56:31.943-07:002010-03-21T18:56:31.943-07:00dil kee matee ko poora bhiga gayee aapkee ye racha...dil kee matee ko poora bhiga gayee aapkee ye rachana.......Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-16123146128609273872010-03-03T02:29:00.287-08:002010-03-03T02:29:00.287-08:00हमने सीखा है सलीक़ा तुम्हीं से जीने का।
दर्द सहने क...हमने सीखा है सलीक़ा तुम्हीं से जीने का।<br />दर्द सहने की अदा ,ढंग ज़ख़्म सीने का ।<br />हादसों और करिश्मों से भरी दुनिया में, <br />मौत दरवाज़ा खुला छोड़ती है ज़ीने का।।<br />0<br /><br />इस मुक्तक में अंतिम दो पंक्तियां-<br />हादसों और करिश्मों से भरी दुनिया में, <br />मौत दरवाज़ा खुला छोड़ती है ज़ीने का।<br />-<br />जिन्दगी को मौत के सापेक्ष परिभाषित करती हे। यानी जिन्दगी ही नहीं मौत भी आपको नये झरोखे और दालान देती है।<br />नयी दृश्टि है साब। बधाईKumar Koutuhalhttps://www.blogger.com/profile/01987984875159921409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-8960238941886222002010-03-02T02:19:35.650-08:002010-03-02T02:19:35.650-08:00पत्थर होकर रह जाते हैं , शिलालेख लिखवानेवाले ,
अमि...पत्थर होकर रह जाते हैं , शिलालेख लिखवानेवाले ,<br />अमिट वही चेहरे होते जो दिल पर छाप छोड़कर जाते ।। <br /><br />भीड़ भाड़ से भरा रास्ता यहीं पड़ा रह जाता है।<br />सभी परिन्दे उड़ जाते हैं पेड़ खड़ा रह जाता है।<br />कहने को तेरी मेरी है , दुनिया झूठी माया है ,<br />महल अटारी सोना ज़ेवर यहीं धरा रह जाता है।<br />क्या बात है? सर आज किसी दूसरे मूड में, होली का असर है. बहुत अच्छी है पूरी पोस्ट पर कुछ बातें तो बेमिसाल है बधाई स्वीकारेंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-557876592048610692010-03-01T00:42:23.096-08:002010-03-01T00:42:23.096-08:00सबसे बड़े भूखंड के स्वामी...
सही कहा..महल अटारी सोन...सबसे बड़े भूखंड के स्वामी...<br />सही कहा..महल अटारी सोना ज़ेवर यहीं धरा रह जाता है।<br /><br />शुभकामनाएं...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.com