tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post2561564368045888124..comments2024-02-28T00:50:07.173-08:00Comments on अनुभूतियां-अभिव्यक्तियां: चूहों का साहित्य-विमर्शDr.R.Ramkumarhttp://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-31348680054775205562010-04-01T20:46:42.491-07:002010-04-01T20:46:42.491-07:00अमृत जी ( कौतुहल)
दरअसल अप्रेल फूल का कोई इरादा न...अमृत जी ( कौतुहल)<br /><br />दरअसल अप्रेल फूल का कोई इरादा नहीं था। आप आपका ब्लाग खुला था और मुझे आप बिठाकर चले गए थे किसी काम से ..श्रीमती जी का हाथ बंटाने ..अपने ब्लाग पर गया तो भूल गया कि आपके ब्लाग में हूं... बस इतनी गड़बड़ हुई<br /><br />संयोग अच्छा है कि अप्रेल फूल है<br /><br /><br />पर अपने साथियों के प्रति मेरे उदगार सच्चे हैं<br /><br />यह तो मेरे साथ अप्रेल फूल हो गया ...<br /><br /><br />सुमन जी ,रचना जी ,संगीता जी, शर्मा जी और हरकीरत जी ...<br /><br />इस मूर्खता पर आप हंस लीजिएगा...<br /><br />मैं अपनी लापरवाही के लिए शर्मिन्दा हूं।<br />इसलिए तत्काल अपने ब्लाग में साइन इन होकर लिख रहा हूं<br /> हीरामन की तरह कसम खाता हूं कि दूसरे सौजन्य से अपनों का सौजन्यवाद नहीं करूंगा..सच्चीDr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-51856233586951850492010-04-01T20:22:36.292-07:002010-04-01T20:22:36.292-07:00आदरणीय डा. साहब
अप्रेल फूल आपने मुझे बनाया है या ...आदरणीय डा. साहब <br />अप्रेल फूल आपने मुझे बनाया है या अपने प्रिय साथयों को ?<br />आपके अंदाज भी अन्योक्ति भरे हैंआपने मरे पास आकर मुझे अथिसेवा का अवसर दिया और मुझे धन्य किया शुक्र है कि यह अप्रेल फूल नही है।<br />आप तो झूठे नोटिस निकालकर अप्रेल फूल बनाते रहे हैं<br /><br />मेरे ब्लाग से अपने ब्लाग में अपने नाम से कमेन्ट करना ..यह तो <br />बिल्कुल सोच के बाहर था...<br /><br />आपकी रचनाएं हमें प्रेरित करती रहती हैं। आपकी इस षरारत का हम अनुकरण कर पायेंगे या नहीं हम भी नहीं जानते।Kumar Koutuhalhttps://www.blogger.com/profile/01987984875159921409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-86312165657780345382010-04-01T20:02:29.916-07:002010-04-01T20:02:29.916-07:00समर्थ साथियों का स्नेह मिलता रहे यही मांगता हूं
स...समर्थ साथियों का स्नेह मिलता रहे यही मांगता हूं<br /><br />स्वरूप जी ब्लाग पर आपकी उपस्थिति मेरा संबल बना रहे यही कोशिश करती रहें<br />रचनाजी आप भी... आपकी विनम्रता का आभार । कृपया हौसला देती रहें<br /><br />सुमन जी आप ब्लाग पर आए आपका आभार आते रहें<br /><br />शर्माजी , चूहे ही तो किसी घर में बिना नागा के धमाचैकड़ी करते रहते हैं<br />आपने लेख को गंभीरतार्पूवक पढ़ा आभार.. <br /><br />हरकीरत जी ,<br />आपका नमन बटर की तरह <br />खुरदुरे टोस्ट में <br />अंतर तक रिस गया है<br /><br />आप गरीबखाने में आती रहें हौसला बढ़ाती रहें<br />मैं तो आपके शब्दशिल्प से अभिभूत हूं।Kumar Koutuhalhttps://www.blogger.com/profile/01987984875159921409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-68873301527884978442010-03-29T07:08:35.159-07:002010-03-29T07:08:35.159-07:00व्यंग लाजवाब.....!!
आपने तो कोई विधा नहीं छोड़ी ....व्यंग लाजवाब.....!!<br /><br />आपने तो कोई विधा नहीं छोड़ी ...सभी में महारत हासिल है आपको .....नमन है .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-22192561605995532742010-03-25T03:13:27.813-07:002010-03-25T03:13:27.813-07:00sir, anyokti to bahut achhi hai hi....chuho par re...sir, anyokti to bahut achhi hai hi....chuho par research bhi!!!<br /><br />bahut achhe vyangya.....badhaaiCS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-16888193607396482802010-03-24T23:50:58.764-07:002010-03-24T23:50:58.764-07:00सर आपकी पोस्ट के बारे में कुछ भी लिखने से पहले सोच...सर आपकी पोस्ट के बारे में कुछ भी लिखने से पहले सोचती हूँ क्या लिखूं ?कैसे लिखूं ? आपकी हर पोस्ट बेहतरीन और गूढ़ बातें लिए होती हैं. <br />मेरे ब्लॉग पर आपकी हर दस्तक मुझे सोचने पर मजबूर करती है की कितनी बारीकी से आप एक एक बात को समझते हैं यहाँ तक की तस्वीर भी, फिर उसका विश्लेषण करते हैं.कई बार तो मैं खुद अपनी पोस्ट की बारीकियां आपसे ही समझ पाती हूँ.आप भावनाओं को शब्दों में पिरोना भली भांति जानते हैं.शायद इसीलिए इतनी बारीकी से टिपण्णी कर पाते हैं.पर मैं आपकी पोस्ट पर वैसा कुछ नहीं लिख सकती क्योंकि हिंदी मेरा विषय कभी नहीं रहा सिर्फ १२ क्लास तक ही पढ़ी है. एक समय तो ये आ गया था की हिंदी में बात भी नहीं हो पा रही थी पर अब फिर से हिंदी लिखना शुरू हुआ है और आपका साथ रहा तो जल्दी ही कुछ अच्छा लिखना भी सीख जाऊँगी <br />आभाररचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-87525178064482547652010-03-24T20:06:48.114-07:002010-03-24T20:06:48.114-07:00चूहों के माध्यम से बहुत सही बात कह दी है ..आम आदमी...चूहों के माध्यम से बहुत सही बात कह दी है ..आम आदमी चूहा ही होता है और व्यवस्था बिल्ली...पर आम आदमी बिल्ली को थका नहीं पाता स्वयं ही हांफ कर बैठ जाता है...पढ़ना अच्छा लगा...बधाईसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4997677413319818638.post-46371514149739052862010-03-24T19:26:56.352-07:002010-03-24T19:26:56.352-07:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com